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जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810
आईएसबीएन :9781613016114

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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


“नहीं’- कहते हुए रमला ने अपने सिर का कपड़ा हटा दिया और युवक को आश्चर्य से देखने लगी। युवक घबड़ाकर बोला- ”कौन? रमला?”

“हाँ, मञ्जल!”

युवक की साँस भारी हो चली।

उसने कहा- ”रमला, मुझे क्षमा करो, मैंने तुम्हें...”

“हाँ, धक्का देकर गिरा दिया था। तब भी मैं बच गई।”

युवक ने सोये हुए मनुष्य की ओर देखकर पूछा- ”वह तुम्हारा कौन है?”

रमला ने रुकते हुए उत्तर दिया- ”मेरा-कोई नहीं।”

“तब भी, यह है कौन?”

“रमला झील का जल-देवता।”

युवक एक बार झनझना गया।

उसने पूछा-”तुम क्या फिर चली जाओगी, रमला?”-उसके कण्ठ में बड़ी कोमलता थी।

“तुम जैसा कहो”- रमला जैसे बेबसी से बोली।

युवक- ”अच्छा, जाओ पहले नहा-धो लो”- कहता हुआ घोड़े पर चढक़र चला गया। रमला सलज्ज उठी-गाँव की पोखरी की ओर चली।

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