कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
सरदार ने देखा कि मेरी
जीत हुई। प्रसन्न होकर बोल उठा- रामप्रसाद, जो
इच्छा हो, माँग लो।
यह सुनकर सरदार-पत्नी के
यहाँ से एक बाँदी आई और सौसन से बोली- बेगम ने
कहा है कि तुम्हें भी जो माँगना हो, हमसे माँग लो।
रामप्रसाद
ने थोड़ी देर तक कुछ न कहा। जब दूसरी बार सरदार ने माँगने को कहा, तब उसका
चेहरा कुछ अस्वाभाविक-सा हो उठा। वह विक्षिप्त स्वर से बोल उठा- यदि आप
अपनी बात पर दृढ़ हों, तो 'सौसन' को मुझे दे दीजिये।
उसी समय सौसन भी उस बाँदी
से बोली- बेगम साहिबा यदि कुछ मुझे देना चाहें,
तो अपने दासीपन से मुझे मुक्त कर दें।
बाँदी भीतर चली गई। सरदार
चुप रह गये। बाँदी फिर आई और बोली- बेगम ने
तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार की और यह हार दिया है।
इतना कहकर उसने एक जड़ाऊ
हार सौसन को पहना दिया।
सरदार ने कहा- रामप्रसाद,
आज से तुम 'तानसेन' हुए। यह सौसन भी तुम्हारी
हुई; लेकिन धरम से इसके साथ ब्याह करो।
तानसेन ने कहा- आज से
हमारा धर्म 'प्रेम' है।
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