कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
याकूब अपनी उखड़ी हुई
साँसों को सँभालने लगा था और
नूरी के मन में विगत काल की घटना, अपने प्रेम-समर्पण का उत्साह, फिर उस
मनस्वी युवक की अवहेलना सजीव हो उठी। आज जीवन का क्या रूप होता? आशा से
भरी संसार-यात्रा किस सुन्दर विश्राम-भवन में पहुँचती? अब तक संसार के
कितने सुन्दर रहस्य फूलों की तरह अपनी पँखुडिय़ाँ खोल चुके होते? अब प्रेम
करने का दिन तो नहीं रहा। हृदय में इतना प्यार कहाँ रहा, जो दूँगी, जिससे
यह ठूँठ हरा हो जायगा। नहीं, नूरी ने मोह का जाल छिन्न कर दिया है। वह अब
उसमें न पड़ेगी। तो भी इस दयनीय मनुष्य की सेवा; किन्तु यह क्या! याकूब
हिचकियाँ ले रहा था। उसकी पुकार का सन्तोष-जनक उत्तर नहीं मिला।
निर्मम-हृदय नूरी ने विलम्ब कर दिया। वह विचार करने लगी थी और याकूब को
इतना अवसर नहीं था! नूरी उसका सिर हाथों पर लेकर उसे लिटाने लगी। साथ ही
अभागे याकूब के खुले हुए प्यासे मुँह में, नूरी की आँखों के आँसू टपाटप
गिरने लगे!
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