कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
क्षण भर के लिए वहाँ
शिथिलता छा गयी थी। सहसा
बुढिय़ा भीड़ चीरकर वहीं पहुँच गयी। उसने राधे को रक्त से सना हुआ देखा।
उसकी आँखें लहू से भर गयीं। उसने कहा- ”राधे की लोथ मन्दिर में जायगी।” वह
अपने निर्बल हाथों से राधे को उठाने लगी।
उसके साथी बढ़े। मन्दिर
का दल भी हुँकार करने लगा; किन्तु बुढिय़ा की आँखों के सामने ठहरने का
किसी को साहस न रहा। वह आगे बढ़ी; पर सिंहद्वार की देहली पर जाकर सहसा रुक
गयी। उसकी आँखों की पुतली में जो मूर्ति-भञ्जक छायाचित्र था, वही गलकर
बहने लगा।
राधे का शव देहली के समीप
रख दिया गया। बुढिय़ा ने
देहली पर सिर झुकाया; पर वह सिर उठा न सकी। मन्दिर में घुसनेवाले अछूतों
के आगे बुढिय़ा विराम-चिह्न-सी पड़ी थी।
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