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			 कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
    तातारों के
      सेनापति ने आकर देखा, उस दावाग्नि के अन्धड़ में तृण-कुसुम सुरक्षित है।
      वह अपनी प्रतिहिंसा से अन्धा हो रहा था। कड़ककर उसने पूछा- ”तू शेख की
      बेटी है?” 
    
    मीना ने जैसे मूच्र्छा से
      आँखें खोलीं। उसने विश्वास-भरी वाणी से कहा-
      ”पिता, मैं तुम्हारी लीला हूँ!” 
    
    सेनापति
      विक्रम को उस प्रान्त का शासन मिला; पर मीना उन्हीं स्वर्ग के खण्डहरों
      में उन्मुक्त घूमा करती। जब सेनापति बहुत स्मरण दिलाता, तो वह कह देती-
      मैं एक भटकी हुई बुलबुल हूँ। मुझे किसी टूटी डाल पर अन्धकार बिता लेने दो!
      इस रजनी-विश्राम का मूल्य अन्तिम तान सुनाकर जाऊँगी।” 
    
    मालूम नहीं, उसकी अन्तिम
      तान किसी ने सुनी या नहीं। 
    
    

 
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