कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
एक डाँड़े चलाने वाली ने
झुककर कहा- बहुत अच्छा हुजूर!
बेगम ने अपने सीने से
तकिये को और दबा दिया; किन्तु वह कुछ न बोल सकी,
दबकर रह गयी।
उपर्युक्त
घटना को बहुत दिन बीत गये। गुलाम कादिर अब अच्छा युवक मालूम होने लगा।
उसका उन्नत स्कन्ध, भरी-भरी बाँहें और विशाल वक्षस्थल बड़े सुहावने हो
गये। किन्तु कौन कह सकता है कि वह युवक है। ईश्वरीय नियम के विरुद्ध उसका
पुंसत्व छीन लिया गया है।
कादिर, शाहआलम का प्यारा
गुलाम है। उसकी तूती बोल रही है, सो भी कहाँ?
शाही नौबतखाने के भीतर।
दीवाने-आम
में अच्छी सज-धज है। आज कोई बड़ा दरबार होने वाला है। सब पदाधिकारी अपने
योग्यतानुसार वस्त्राभूषण से सजकर अपने-अपने स्थान को सुशोभित करने लगे।
शाहआलम भी तख्त पर बैठ गये। तुला-दान होने के बाद बादशाह ने कुछ लोगों का
मनसब बढ़ाया और कुछ को इनाम दिया। किसी को हर्बे दिये गये; किसी की पदवी
बढ़ायी गयी; किसी की तनख्वाह बढ़ी।
किन्तु बादशाह यह सब करके
भी
तृप्त नहीं दिखाई पड़ते। उनकी निगाहें किसी को खोज रही हैं। वे इशारा कर
रही हैं कि उन्हीं से काम निकल जाय, रसना को बोलना न पड़े; किन्तु करें
क्या? वह हो नहीं सकता था। बादशाह ने एक तरफ देखकर कहा- गुलाम कादिर!
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