लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

16

दुश्मन


‘देख बेटा आज घर पर ही रहना- दिल्ली से कुछ लोग तेरे मामा के साथ आएंगे।’ माँ ने प्यार से कहा।

‘दीदी को देखने...?’

‘नहीं, तुझे देखने।’

‘पर माँ, दीदी तो मुझसे बड़ी है।’

‘उसकी बाद में हो जाएगी...’

‘नहीं माँ, यह ठीक नहीं है।’

‘बेटे तू समझता नहीं।’ माँ ने कहा-’घर में कुछ है नहीं ललिता की शादी के लिए, सोचती हूं तेरे दहेज से उसकी शादी कर दूंगी...।’

बिना कुछ उत्तर दिए वह घर से निकल गया और आज तक लौट कर नहीं आया।


0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book