लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

26

कोरी शिक्षा


आठवीं की परीक्षा देकर जब सोनू नाना के यहां गांव गया तो सब बहुत खुश थे। अगले दिन मामी ने उसको पत्र लिखने के लिए कहा। ‘मामी! चिट्ठी लिखना तो हमें स्कूल में सिखाया ही नहीं जाता।’ झेंपते हुए सोनू ने कहा।

मामा ने बाहर निकलते हुए सुन लिया था। ‘क्यों बे, आठवीं कक्षा की हिन्दी में क्या पत्र लिखना नहीं आता?’ मामा जल्दी में थे सो कहकर चले गए।

‘वो तो परीक्षा के लिए होते हैं।’ सोनू ने अनपढ़ मामी को समझाया।

रात को नानी दूधका गिलास उसके हाथ में देकर अपना दूधका हिसाब जुड़वाने लगी।

‘नानी! दूधका हिसाब मेरे स्कूल में नहीं पढ़ाया जाता।’ सोनू झुंझला-सा गया।

‘फिर स्कूल में क्या पढ़ाया जाता है?’

‘जो परीक्षा में आता है, वो पढ़ाया जाता है।’

सुनकर नानी नाती का मुंह देखती रह गयी।


0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book