कहानी संग्रह >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकान्त
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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बदलाव
‘ए दादी मेरे दादा का नाम
बतलाना तो।’ पोती आज पूर्णतया मस्ती के मूड में थी।
माला जपते हुए हाथ को ऊपर उठाकर दादी ने आकाश की ओर इशारा कर दिया।
‘अच्छा चांदराम’ पोती की मस्ती पूरी नहीं हुई थी।
‘नहीं नहीं वो जो चांद के पास छोटे-छोटे चमकते रहते हैं...।’ माला का हाथ रोककर दादी ने समझाने का प्रयत्न किया।
‘अच्छा ताराचंद...’
‘हां...वही’ दादी ने स्वीकृति प्रदान कर दी।
वहां से उठकर वह माँ के कमरे में आ गयी। ‘माँ-माँ जरा पापा का नाम बताना तो।’
‘क्यों?’
‘कुछ काम है...’
‘ज्ञानचंद... क्या तुझे नहीं मालूम?’
अब वह अपनी भाभी के कमरे में आ गयी। भैया-भाभी के साथ बैठे खाना खा रहे हैं। ‘विभा डार्लिंग इस स्वीट डिस को टेस्ट करना, मैंने स्पेशल तुम्हारे लिए अपने हाथ से बनाया है।’ भईया ने चम्मच भाभी के मुंह में उडेल दिया।
गुडि़या बिना कुछ पूछे वापस लौट आयी।
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