लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

32

बदलाव


‘ए दादी मेरे दादा का नाम बतलाना तो।’ पोती आज पूर्णतया मस्ती के मूड में थी।

माला जपते हुए हाथ को ऊपर उठाकर दादी ने आकाश की ओर इशारा कर दिया।

‘अच्छा चांदराम’ पोती की मस्ती पूरी नहीं हुई थी।

‘नहीं नहीं वो जो चांद के पास छोटे-छोटे चमकते रहते हैं...।’ माला का हाथ रोककर दादी ने समझाने का प्रयत्न किया।

‘अच्छा ताराचंद...’

‘हां...वही’ दादी ने स्वीकृति प्रदान कर दी।

वहां से उठकर वह माँ के कमरे में आ गयी। ‘माँ-माँ जरा पापा का नाम बताना तो।’

‘क्यों?’

‘कुछ काम है...’

‘ज्ञानचंद... क्या तुझे नहीं मालूम?’

अब वह अपनी भाभी के कमरे में आ गयी। भैया-भाभी के साथ बैठे खाना खा रहे हैं। ‘विभा डार्लिंग इस स्वीट डिस को टेस्ट करना, मैंने स्पेशल तुम्हारे लिए अपने हाथ से बनाया है।’ भईया ने चम्मच भाभी के मुंह में उडेल दिया।

गुडि़या बिना कुछ पूछे वापस लौट आयी।


0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book