जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
इसके
बाद सिर्फ गीत या जुलूस नहीं, सभी प्रकार की विलायती चीजों का बॉयकाट शुरू
हो गया। अंग्रेज सरकार ने एक आदेश जारी करके स्कूल-कालेज के छात्रों को इस
स्वदेशी आंदोलन में भाग लेने से रोकना चाहा। जनता ने एक सभा में फैसला
किया कि लोग सरकारी विश्वविद्यालय और सरकारी नौकरी छोड़ दें। बंगाल में
आंदोलन फैल गया, हर जगह बॉयकाट शुरू हुआ। पूरा बंगाल बेहद नाराज था। उसी
समय सरकारी शिक्षा का विरोध जताने के लिए डॉन सोसाइटी के प्रयासों से
राष्ट्रीय विद्यालय शुरू हुए-जादवपुर विश्वविद्यालय इसी का फल है। लोगों
के जबर्दस्त विरोध, आंदोलन और बहिष्कार के कारण आखिरकार सरकार को मजबूरन
बंगाल का बंटवारा रद्द करना पड़ा। राष्ट्रीय शिक्षा परिषद में रवीन्द्रनाथ
ने अपने कई भाषणों में लोगों को बताया कि हमारे देश की सही शिक्षा नीति
कैसी होनी चाहिए। इसी बीच रवीन्द्रनाथ अगरतला, कुमितला और बरीसाल घूम आए।
वहां उन्होंने भाषण भी दिए।
रवीन्द्रनाथ शांतिनिकेतन
लौटे।
उन्होंने अपने बेटे रथीन्द्रनाथ को कृषि विज्ञान पढ़ाने के लिए अमरीका
भेजा। छोटी बेटी मीरा की शादी नगेन्द्रनाथ गंगोपाध्याय से कर दी। शादी के
बाद वे अपनी बेटी और दामाद के साथ दामाद के जिले बरीसाल घूम आए। इसके बाद
उन्होंने अपने छोटे दामाद को भी अमरीका कृषि विज्ञान पढ़ने भेजा। इसी तरह
अपने दोस्त श्रीशचंद्र मजुमदार के बेटे संतोषचंद्र मजुमदार को भी गो पालन
की पढ़ाई के लिए अमरीका भेजा। अमरीका से वापस लौटने के बाद उन्होंने
रथीन्द्रनाथ की शादी एक बाल विद्यवा प्रतिभा देवी से कर दी। रथीन्द्रनाथ
को उन्होंने जमींदारी की देखभाल के लिए भेज दिया। जहां प्रजा के हित के
लिए पिता के कहने पर खेतों में उन्होंने ट्रैक्टर भी चलाया।
रवीन्द्रनाथ
अपना लेखन लगातार जारी रखे हुए थे। वे कविताएं और लेख तो लिख ही रहे थे,
इसके अलावा उन्होंने ''प्रवासी'' पत्रिका के लिए ''मास्टर मोशाय'' (मास्टर
जी) नाम से एक बड़ी कहानी भी लिखी। कुछ दिनों बाद उन्होंने ''गोरा''
उपन्यास धारावाहिक रूप से लिखना शुरू किया।
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