जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
रवीन्द्रनाथ की उस समय के
इंग्लैंड
के विद्वानों से जान-पहचान बढ़ी। चार्ल्स एंड्रूज और विली पियर्सन तो थे
ही, यीट्स और रोटेनस्टाइन के अलावा बर्टेन्ड रसेल. एच. जी. वेल्स, लोयेस
डिकिन्सन, स्टेपफोर्ड ब्रुक्स, अर्नस्ट रीहूस, एवलिन अंडरहिल, फॉक्स
स्ट्रांगवेज, एजरा पाउंड आदि वरिष्ठ और युवा मनीषी वहां थे। ट्रकेडोरा
होटल में रवीन्द्रनाथ के सम्मान में एक सभा हुई। इंडिया सोसाइटी ने
''गीतांजलि'' को अंग्रेजी में छापना तय किया। यीट्स ने उसकी भूमिका लिखी।
इंग्लैंड
में चार महीने रहने के बाद रवीन्द्रनाथ अपने बेटे और बहू को लेकर अमरीका
गए। न्यूयार्क से सीधे इलिनॉय के अर्बाना शहर में। रवीन्द्रनाथ ने वहीं
अपनी पढ़ाई की थी। रवीन्द्रनाथ ने वहां के विद्वानों के निवेदन पर कई जगह
भाषण भी दिया। बाद में अर्बाना से शिकागो गए। वहां से रोचेस्टर। वहां पर
रवीन्द्रनाथ ने ''जाति संघर्ष'' विषय पर एक भाषण दिया। वे रोचेस्टर से
बोस्टन और वहां से हार्वर्ड पहुंचे। अंत में न्यूयार्क से शिकागो होकर
अर्बाना आए। रवीन्द्रनाथ अमरीका में छ: महीने रहे। वहां पर उन्हें
अंग्रेजी में ''गीतांजलि'' के छप जाने की खबर मिली।
विलायत
पहुंचकर उन्होंने देखा कि हर अखबार में ''गीतांजलि'' की तारीफ छपी थी।
उन्हें कैक्सटन हाल में कई बार भाषण देना पड़ा। उन भाषणों को एकत्र करके
अंग्रेजी में ''साधना'' नाम से एक किताब छपी। विलायत में रहने के दौरान ही
''डाकघर'' और ''राजा'', इन दोनों नाटकों के ''पोस्ट मारटर'' तथा ''द किंग
आफ द डार्क चेम्बर'' के नाम से अनुवाद छपे। इन पर नाटक भी खेले गए।
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