लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी

रवि कहानी

अमिताभ चौधुरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9841
आईएसबीएन :9781613015599

Like this Hindi book 0

रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी


जापान में तीन महीने रहने के बाद रवीन्द्रनाथ अमरीका पहुंचे। वहां वे सियाटेल में ठहरे। इसके बाद पोर्टलैन्ड, सैन फ्रांसिस्को, लांस एंजेलेस, सान डियेगो आदि कई जगह उन्होंने भाषण दिया। उनके इन भाषणों की किताब ''पर्सनैलिटी एंड नैशनलिज्म'' (व्यक्तित्व और राष्ट्रीयता) नाम से छपी। उसके बाद वे न्यूयार्क गए वहां वे बोस्टन, येल तथा और भी कई जगह घूमने के बाद उन्होंने भारत लौटने का मन बनाया। लौटते वक्त क्लीवलेंड शहर के नागरिकों की इच्छा पर ''शैक्सपियर गार्डेन्स'' में उन्होंने एक पौधा लगाया। यह काम उन्होंने पहली बार किया था। बाद में शांतिनिकेतन में पौधा लगाना तो समारोह ही हो गया। फिर वे सैन फ्रांसिस्को होते हुए होनोलूलू पहुंचे। वहां से जापान। सन् 1917 के मार्च महीने में वे भारत वापस लौटे।

कलकत्ता लौटकर उन्होंने देखा कि ठाकुरबाड़ी में ''विचित्रा'' नाम से एक क्लब खुल गया था। लेकिन अपने परिवार की कई समस्याओं ने कवि को दु:खी कर दिया। उनकी सबसे बड़ी लड़की बेला की हालत बहुत खराब थी। अपने दामाद शरतचंद से रवीन्द्रनाथ की पटती नहीं थी। उधर देश का राजनीतिक माहौल बिगड़ता जा रहा था। क्रांतिकारियों के बम की आवाज चारों तरफ गूंज रही थी। ब्रिटिश सरकार ने ढेरों क्रांतिकारी युवकों को जेल में डाल दिया था। स्वराज के लिए आंदोलन भी शुरू हो चुका था। इन सभी घटनाओं से परेशान होकर रवीन्द्रनाथ सरकारी दमननीति के विरोध में अखबारो में बयान देने लगे। ''कर्तार इच्छाय कर्म'' (मालिक की इच्छा से कर्म) नामक एक लम्बा लेख उन्होंने राममोहन लाइब्रेरी में पढ़ा। वहां पर उनके स्वागत में ''देश देश नंदित कवि'' गीत भी गाया गया।

बंगाल का राजनैतिक माहौल बिगड़ता जा रहा था। एनी बेसेंट जेल में थीं। उनकी रिहाई के लिए आंदोलन शुरू हुआ। आखिरकार सरकार को उन्हें छोड़ना पड़ा। इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में ''डाकघर'' नाटक खेला गया। नाटक के दर्शकों में गांधी जी, बाल गंगाधर तिलक, एनी बेसेंट, मदनमोहन मालवीय आदि भी थे। उन्हीं दिनों कलकत्ता विश्वविद्यालय की उन्नति के लिए सैडलर कमीशन नियुक्त हुआ। इंग्लैंड के लीड्स विश्वविद्यालय के उपकुलपति सर माइकल सैडलर ने शिक्षा को लेकर रवीन्द्रनाथ की राय पूछने पर उन्होंने एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा, ''अंग्रेजी भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में बहुत अच्छी तरह पढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन स्कूल कालेज से लेकर विश्वविद्यालय तक की हर विषय की पढ़ाई मातृभाषा में ही होनी चाहिए।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book