जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
इस
तरह बंगाल की नयी हवा वे संस्कृति की दुनिया में ले आए। मणिपुरी नृत्य की
शैली पर एक नया नाटक तथा उसके गीत लिखे गए। सन् 1926 में ''नटीर पूजा''
(नटी की पूजा) नाटक में श्रीमती के नृत्य ने भारत के नृत्य जगत को एक नई
दिशा दी।
अहमदाबाद में गुजराती
साहित्य सम्मेलन का सभापति बनने
के लिए गांधी जी का पत्र उन्हें मिला। वे वहां अम्बालाल साराभाई के यहां
ठहरे। सम्मेलन खत्म होने के बाद वे अहमदाबाद के नजदीक गांधी जी का साबरमती
आश्रम देखने गए। इसके बाद वे काठियावाड़ के सफर पर निकले। वहां से वे मुंबई
गए। मुहम्मद अली जिन्ना वहां के एक बड़े प्रभावशाली कांग्रेसी नेता थे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद में वहां एक सभा हो रही थी। जिन्ना ने
रवीन्द्रनाथ से एक भाषण लिखकर देने के लिए कहा। रवीन्द्रनाथ ने लिख दिया।
मुंबई
से वे बड़ौदा पहुंचे। वहां महाराजा गायकवाड़ के अतिथि बने। वहां भी कवि को
सम्मानित किया गया। मुंबई से सूरत, फिर मुंबई होते हुए कलकत्ता वापस लौटे।
कवि ने हर जगह लोगों को विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की जरूरत के
बारे में जानकारी दी। गुजरात से लोटते ही उन्होंने विलायत जाने की बात
सोची। तब तक पहला विश्वयुद्ध खत्म हो चुका था। यूरोप नए सिरे से खुद को
ढालने के काम में जुट गया। कवि को लगा कि उन्हें अपनी इस बार की यूरोप
यात्रा में उन लोगों से मिलने का मौका मिलेगा जो एक नए यूरोप को बनाने की
चिंता कर रहे हैं। वे उनके नजरिए को समझना चाहते थे।
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