जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
द्वारकानाथ के बड़े
बेटे देवेन्द्रनाथ थे। अपनी जवानी भोग-विलास में बिताने पर भी बाद में
उनका मन धर्म-दर्शन की ओर मुड़ गया। इसीलिए उन्हें लोग महर्षि कहते हैं।
उन्होंने अपने लंबे जीवन में लोगों की भलाई के लिए काफी कुछ किया।
ब्राह्मधर्म का प्रचार और प्रसार भी उन्हीं के हाथों हुआ। वे ही उसके सब
कुछ थे।
उनके बेटों में रवीन्द्रनाथ के अलावा द्विजेन्द्रनाथ, सत्येन्द्रनाथ और ज्योतिरिन्द्रनाथ उस समय के पढ़े-लिखे लोगों में अपनी खास हैसियत रखते थे। उनकी बेटी स्वर्णकुमारी भी उस जमाने की नामी लेखिका थी। इसके अलावा उनके छोटे भाई गिरीन्द्रनाथ, पोते गगनेन्द्रनाथ और अवनीन्द्रनाथ ने कला जगत में नए युग की शुरूआत की। देवेन्द्रनाथ के एक और पोते बलेन्द्रनाथ भी बांग्ला गद्य के जाने-माने लेखक थे। कुल मिलाकर जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी परिवार अपने जमाने में कलकत्ता का सबसे मशहूर परिवार था। साहित्य-संगीत-संस्कृति के अलावा धन-दौलत में भी वह परिवार किसी से पीछे नहीं था। इस परिवार के लोगों ने ही अपनी चाल-ढाल, पठन-पाठन, चिंतन-मनन के जरिए नए जमाने की शुरूआत की।
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