जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
रवीन्द्रनाथ
जोड़ासांको के इस ठाकुर परिवार की चौदहवीं संतान थे। सबसे अंतिम संतान
बुधेन्द्रनाथ की कम उम्र में मौत हो जाने पर वे ही परिवार के अंतिम संतान
माने जाने लगे। जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में वे 6 मई 1861 को पैदा हुए। ठीक
उसी साल और उसी दिन एक और बालक पैदा हुआ, जिसने भी अपना नाम इतिहास में
रोशन किया-पंडित मोतीलाल नेहरू, जिनके बेटे जवाहरलाल के साथ बाद में
रवीन्द्रनाथ की अच्छी निकटता हुई।
रवीन्द्रनाथ जब पैदा हुए
थे,
उन दिनों बंगाली समाज और वहां के जन-जीवन में, हर तरफ आजादी की मांग जोरों
पर थी। इसके अलावा जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी जितनी विशाल थी उतनी ही अनोखी थी।
रवीन्द्रनाथ के बचपन का अधिकतर समय नौकरों-चाकरों के साथ बीता। इसीलिए वे
अपने इस समय को ''भृत्यराजकतंत्र'' यानी नौकरों की हुकूमत का समय कहते थे।
नौकरों के हाथों घर में बंदी जीवन बिताने के दौरान उनके कमरे की खिड़की से
नजर आने वाली बाहर की दुनिया ही उनकी साथी थी। उनके बरामदे की रेलिंग के
साथ भी उनका काफी समय बीतता था। अपने हाथ में एक छोटी सी छड़ी लेकर
''मास्टर'' रवीन्द्रनाथ रेलिंग की कड़ियों को अपना छात्र समझकर उनके साथ
वैसा ही पेश आते थे।
उनके घर में संगीत, कला
और लेखन का माहौल
था। उनके घर में कोई कविता या नाटक लिखता तो कोई गीत, तो कोई पियानो बजाता
था। बच्चों और बड़ों को विष्णु चक्रवर्ती और यदु भट्ट जैसे
गायक
आकर रोज गाना सिखाते थे। बाहर अखाड़े में कुश्ती लड़ना और दंड बैठक करना
पड़ता था। उनके बड़े भाई और भाभियां घोड़े पर सवार होकर मैदान में घूमने
जाती थीं। बचपन से ही रवीन्द्रनाथ का गला बहुत सुरीला था। उन्होंने खुद ही
कहा है कि कुश्ती और अपनी पढ़ाई के दौरान मौका मिलते ही वे न जाने कब से
गाना गाने लगे थे।
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