जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
इसी
बीच उनकी माँ की मृत्यु हो गई। उससे भी दु:ख की बात यह थी कि उनके कवि
जीवन को प्रेरित करने वाली उनकी नई ''बौठान'' (भाभी) कादम्बरी देवी भी
नहीं रही। कादम्बरी देवी का रवीन्द्रनाथ के जीवन पर एक अलग तरह का प्रभाव
था। रवीन्द्रनाथ ने बाद में उन्हें लेकर काफी कविताएं और गीत भी लिखे।
सन्
1882 में रवीन्द्रनाथ की शादी मृणालिनी देवी से हुई। खुलना के एक मामूली
परिवार की लड़की होने पर भी उन्होंने कवि के जीवन में विशेष प्रभाव डाला
था। सन् 1902 में सिर्फ अठाइस साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। उनके
पांच बच्चे हुए थे। उनकी बड़ी लड़की माधुरीलता की शादी मुजफ्फरपुर के कवि
बिहारीलाल चक्रवर्ती के बेटे शरतचंद्र चक्रवर्ती के साथ हुई थी। उनके
बाल-बच्चे नहीं हुए। रवीन्द्रनाथ के बड़े बेटे रवीन्द्रनाथ की शादी
अवनीन्द्रनाथ की बहन विनयनी देवी की बेटी प्रतिभा देवी से हुई। उनके भी
बाल-बच्चे नहीं थे, मंझली बेटी रेणुका का भी यही हाल था। सबसे छोटे बेटे
शमीन्द्रनाथ की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। छोटी बेटी मीरा देवी की दो
संतानें थीं। एक बेटी और एक बेटा। उनके बेटे नीतीन्द्रनाथ की मृत्यु सिर्फ
19 साल की उम्र में जर्मनी में हो गई। बेटी नंदिता का विवाह कृष्ण कृपलानी
के साथ हुआ। उनकी भी कोई संतान नहीं थी अर्थात् रवीन्द्रनाथ के वंश को
बढ़ाने के लिए कोई जीवित नहीं रहा। रवीन्द्रनाथ ने नंदिनी नामक एक गुजराती
लड़की को गोद ले लिया।
उनके परिवार में साहित्य
का माहौल बना रहा।
उनके यहां से साहित्य की एक मासिक पत्रिका निकलती थी, उसका नाम ''भारती''
था। सम्पादक थे द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर। उस समय रवीन्द्रनाथ सोलह साल के थे
जब उन्होंने उसमें लिखना शुरू किया। माइकल मधुसूदन के ''मेघनाथ बध'' कविता
पर लिखी उनकी तीखी आलोचना ने लोगों का ध्यान खींचा। ''भिखारिणी'' नामक एक
कहानी भी उन्होंने उसमें लिखी। उन्हीं दिनों ''भानुसिहेर पदावली'' (भानु
सिंह के पद) के नाम से ब्रजबोली में कई गीत भी उन्होंने रचे। इसके अलावा
''भारती'' पत्रिका में गेटे, दांते, पेत्रार्क आदि यूरोपीय लेखकों के बारे
में लिखे उनके कई लेख भी छपे।
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