जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
आठ
नेताओं में गांधी जी ही रवीन्द्रनाथ के सबसे करीबी थे। सन् 1915 में उनसे मुलाकात के बाद से जीवन भर दोनों का गहरा संबंध बना रहा। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस से भी उनका स्नेह संबंध था। सन् 1916 में मुबई में रवीन्द्रनाथ की सौवीं जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए नेहरू जी ने कहा था, ''राजनीति में मैं गांधी जी के करीब होने के बावजूद विचारों में मैं रवीन्द्रनाथ के करीब था। यह बात सही भी थी। सन् 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु की खबर पाकर रवीन्द्रनाथ ने शांतिनिकेनन में एक शोक सभा बुलाई थी। उसमें भाषण देते हुए उन्होंने नेहरू जी को ''ऋतुराज'' कहा था। रवीन्द्रनाथ मानते थे कि नेहरू जी नए भारत के नवयौवन के दूत हैं। वैज्ञानिक मेद्यनाथ साहा ने भारत के भविष्य की योजना का जो मजमून बनाकर रवीन्द्रनाथ के पास भेजा था, उस पर विचार करने के लिए रवीन्द्रनाथ ने नेहरू जी और सुभाषचंद्र बोस को शांतिनिकेतन में बुलाया था। सन् 1939 में नेहरू जी ने चीन सफर से पहले जोड़ासांको में रवीन्द्रनाथ से उस पर काफी देर तक चर्चा भी की थी।
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