जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधुरी
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
मिस राखबोन ने, खासकर
जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ,
अपना जहर उगला था। उन दिनों वे जेल में थे। इसलिए बीमार होते हुए भी
रवीन्द्रनाथ को ही उसका विरोध करना पड़ा। रवीन्द्रनाथ के इस जवाबी हमले ने
देश के लोगों में नया जोश भर दिया।
रवीन्द्रनाथ की हालत
बिगड़ती
जा रही थी। एलोपैथी, होम्योपैथी, वैद्यक-किसी भी दवा से उन्हें फायदा नहीं
हो रहा था। आखिरकार कलकत्ता में डा. ललित बनर्जी से उनका आपरेशन कराने की
बात सोची गई। 25 जुलाई 1941 को कवि को कलकत्ता लाया गया। डा. नीलरतन सरकार
और डा. विद्यानचंद्र राय ने उनकी जांच की। 30 जुलाई को उनका आपरेशन किया
गया। आपरेशन के दिन भी सुबह को उन्होंने मुंहजबानी एक कविता लिखवाई-अपनी
आखिरी कविता-'अपनी सृष्टि का पथ तुम्हीं ने रोक रखा है, विचित्र छलना जाल
में है छलनामयी।'
आपरेशन के दो-तीन दिन बाद
उनकी हालत ज्यादा
बिगड़ गई। आखिरकार 7 अगस्त 1941 को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने
आखिरी सांस ली। उसी दिन नीमतला श्मशान में उनका दाह संस्कार कर दिया गया।
इस तरह महाकवि का महाप्रयाण हुआ।