व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्रश्रीराम शर्मा आचार्य
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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है
( 8 ) भारतीय सभ्यता के
अनुसार जूते पहनकर किसी धार्मिक पवित्र स्थान पर नहीं जाना चाहिए चाहे वह
किसी भी मजहब या संप्रदाय का क्यों न हो।
( 9 ) देव स्थानों में
प्रवेश करते समय जूता, लाठी, छाता आदि वस्तु बाहर ही रखनी चाहिए।
( 10 ) ऐसे स्थानों में,
जिनके चारों ओर दीवार या किसी अन्य प्रकार की स्थाई या अस्थाई रोक बनाई गई
हो, बिना स्वामी या प्रबंधक की आज्ञा प्राप्त किए घुसना अनुचित है।
( 11 ) स्टेशन, बस स्टाप,
डाकखाना या खेल-तमाशों में टिकट बिकने की खिडकियों पर धक्का-मुक्की करना
बुरा है। शांतिपूर्वक एक लाइन में खड़े होकर अपने नंबर पर ही पहुँचना
चाहिए।
( 12 ) सार्वजनिक स्थानों
और निजी आवास स्थानों में आने- जाने के संबंध में जो सूचनाएँ लिखी हों,
उनका ठीक तरह से पालन करना चाहिए।
( 13 ) सभा, सार्वजनिक
उत्सव, मेले, खेल-तमाशे आदि में नियमों को जान-बूझकर तोड़ना और उछल-कूद
मचाना बचकानापन है।
( 14 ) ऐसे स्थानों या
सवारियों में जिनमें टिकट लेकर जाना पड़ता है, बिना टिकट के घूमने की
चेष्टा नहीं करनी चाहिए। इसके विपरीत आचरण करना असफलता ही नहीं, वरन् एक
प्रकार की चोरी है।
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