लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9843
आईएसबीएन :9781613012789

Like this Hindi book 0

मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है


सामाजिक व्यवहार में शिष्टाचार

( 1 ) नित्य प्रातःकाल उठकर गुरुजनों, माता-पिता आदि के चरण-स्पर्श करना भारतीय संस्कृति का विशिष्ट नियम है।

( 2 ) अपने घर पर किसी व्यक्ति के आने पर उसका प्रेमपूर्वक अभिवादन करना चाहिए और उसके सामने हाथ-पैर फैलाकर बेहूदा तरीके से नहीं बैठना चाहिए।

( 3 ) आगंतुक सम्माननीय व्यक्तियों के सामने घर के किसी व्यक्ति या नौकर-चाकर पर क्रोध प्रकट करना या गालियाँ बकना अनुचित है।

( 4 ) अपने से बड़े या सम्मानीय व्यक्तियों के सामने कभी उनसे उच्च आसन पर नहीं बैठना चाहिए।

( 5 ) जँभाई, छींक, खाँसी आदि के आने पर मुँह के सामने रुमाल लगा लेना सभ्यता का चिह्न है।

( 6 ) मार्ग में जाते समय यदि किसी परिचित से भेंट हो जाए यथासंभव स्वयं अभिवादन करना चाहिए। वृद्ध, रोगी, स्त्री, लँगड़े-लूले व्यक्ति आदि के लिए रास्ते से हटकर मार्ग देना चाहिए।

( 7 ) किसी के घर जाकर घर के मालिक और अन्य लोगों की सुविधा का ध्यान रखकर ही व्यवहार करना चाहिए।

( 8 ) सार्वजनिक उत्सव या सभा-सम्मेलन के बीच अकारण अकस्मात उठकर चल देना, असभ्यता का सूचक माना जाता है। ऐसे अवसरों पर जाना ही नहीं चाहिए या पीछे की तरफ ऐसी जगह पर बैठना चाहिए जहाँ से उठकर चलने से किसी का ध्यान आकर्षित न हो। इसी प्रकार से कथा-वार्त्ता, सभा आदि में सोने या ऊँघने लगना भी अनुचित है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book