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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9843
आईएसबीएन :9781613012789

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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है


खान-पान और स्वास्थ्य रक्षा के शिष्टाचार

( 1 ) भोजन करने के स्थान का स्वच्छ और सुरुचिपूर्ण होना आवश्यक है।

( 2 ) भोजन करते समय खाने और पीने में चप-चप का शब्द करना अशिष्टता है।

( 3 ) दाहिने हाथ से ही खाना चाहिए। उँगलियों को ऊपर तक साग, दाल से भर लेना और उन्हें चाटना भी सभ्यता के विरुद्ध है।

( 4 ) पानी आदि पेय पदार्थ खड़े होकर पीना ठीक नहीं और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

( 5 ) भोजन करते समय किसी ऐसी वस्तु का नाम नहीं लेना चाहिए जिससे घृणा का भाव उत्पन्न हो।

( 6 ) भोजन पूरी निश्चिंतता और शांति के साथ करना चाहिए।

( 7 ) चलते-फिरते, घूमते-टहलते हुए खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हानिकारक है ही, सभ्यता के भी विपरीत है।


( 8 ) खाने-पीने के सामान को लाँघकर चलना बहुत बुरा है।

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