व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्रश्रीराम शर्मा आचार्य
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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है
खान-पान
और
स्वास्थ्य रक्षा के शिष्टाचार
( 1 ) भोजन करने के स्थान
का स्वच्छ और सुरुचिपूर्ण होना आवश्यक है।
( 2 ) भोजन करते समय खाने
और पीने में चप-चप का शब्द करना अशिष्टता है।
( 3 ) दाहिने हाथ से ही
खाना चाहिए। उँगलियों को ऊपर तक साग, दाल से भर लेना और उन्हें चाटना भी
सभ्यता के विरुद्ध है।
( 4 ) पानी आदि पेय
पदार्थ खड़े होकर पीना ठीक नहीं और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
( 5 ) भोजन करते समय किसी
ऐसी वस्तु का नाम नहीं लेना चाहिए जिससे घृणा का भाव उत्पन्न हो।
( 6 ) भोजन पूरी
निश्चिंतता और शांति के साथ करना चाहिए।
( 7 ) चलते-फिरते, घूमते-टहलते हुए खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से तो
हानिकारक है ही, सभ्यता के भी विपरीत है।
( 8 ) खाने-पीने के सामान
को लाँघकर चलना बहुत बुरा है।
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