व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्रश्रीराम शर्मा आचार्य
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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है
बातचीत-रहन-सहन
के
शिष्टाचार
( 1 ) जहाँ दो-चार
व्यक्ति बैठकर बातचीत कर रहे हों, वहाँ जाकर बैठना अनुचित है।
( 2 ) बातचीत करते समय
यदि कोई अनुचित बात मुँह से निकल जाए तो तुरंत क्षमा-प्रार्थना कर लेनी
चाहिए।
( 3 ) बातचीत करते समय
केवल स्वयं न बोलते रहिए दूसरों को भी मौका दीजिए।
( 4 ) कठोर उत्तर देकर
शीघ्र ही उसे झगड़े का रूप दे देना मूर्खता है। कठोर उत्तर के स्थान पर
विनम्र शब्दों में ही कहना चाहिए ''मेरी राय में आप भूल रहे हैं।'' या
''आपको ठीक सूचना नहीं मिली'' आदि।
( 5 ) मुँह से सदैव
जरा-जरा से बात पर गाली या अश्लील शब्द निकालते रहना, सभ्यता के विपरीत है।
( 6 ) जिस किसी से वायदा
करो उसे यथाशक्ति पूर्ण करने का प्रयास करो।
( 7 ) किसी बात को बहुत
अधिक मत बढ़ाओ।
( 8 ) वर्तमान समय में
कितने ही ऐसे पुरुष और स्त्री हैं जो फैशन के भक्त बनकर जिस प्रकार विदेशी
वस्त्रों का प्रयोग करने लगे हैं। वह अशोभनीय है। विशेषकर स्त्रियों की
चुस्त पोशाक तो भारतीय संस्कृति की दृष्टि से सर्वथा हेय ही कही जाएगी।
ऐसी स्त्रियाँ सज्जन पुरुषों के समक्ष अपना सम्मान स्वयं कम करती हैं।
( 9 ) सार्वजनिक
सम्मेलनों और निजी उत्सवों में अवसर के अनुकूल पोशाक ही उचित है।
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