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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9843
आईएसबीएन :9781613012789

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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है


अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है- A friend in need is a friend indeed. अर्थात मुसीबत के समय काम आने वाला, साथ निभाने वाला व्यक्ति ही वास्तविक मित्र या आदर्श साथी हुआ करता है। इस से स्पष्ट है कि आदर्श मित्र और मित्रता को परखने वाली वास्तविक कसौटी मुसीबत या आपातकाल ही हुआ करती है। इस संबंध में रहीम का दोहा विशेष रूप से उल्लेखनीय है-

सुख संपदा में सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।

मित्रता के संबंध में दूसरी महत्त्वपूर्ण बात है कि एक-दूसरे के मतभेदों को मैत्री संबंधों के बीच उत्पन्न न होने दिया जाए। मैत्री संबंधों में परस्पर का व्यवहार-बरताव इतना खुला हुआ होना चाहिए कि किसी को भी एक-दूसरे पर शंका न हो सके। मित्रता दो व्यक्तियों का हार्दिक संगम है। उनका आंतरिक जीवन अत्यंत नजदीक होता है तो उससे प्रेरित बाह्य जीवन भी। सच्चे और आत्मीय मित्रों का पाना वास्तव में सच्ची संपत्ति है। हजारों-लाखों मेल-मुलाकातियों में आदर्श मित्र तो कोई एक-आध ही हो सकता है। शेष सभी तो मात्र दुनियादारी निभाने वाले ही हुआ करते हैं। आज के प्रतिकूल युग में मनुष्य को मित्रों से सदा सावधान रहना चाहिए। किसी अनुभवी ने ठीक ही कहा है - हे परमात्मा। मुझे मित्रों से बचा, शत्रुओं से मैं अपनी रक्षा आप कर लूँगा। आज का मित्र, मित्रता के रूप में शत्रुता का व्यवहार करता है। शत्रु से अपनी रक्षा कर लेना सरल है, किंतु मित्र वेश में छिपे हुए शत्रु से रक्षा करना कठिन है। कोई भी बेचारा भावुक एवं भोला व्यक्ति उनके इंद्रजाल में फँसकर मारा जाता है।

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