व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्रश्रीराम शर्मा आचार्य
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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है
सामान्यत: स्कूल-कॉलेज के
लिए 6 घंटे, सोने के लिए 9 घंटे, नित्य कर्म के लिए 2 घंटे माने जाएँ तो
कुल मिलाकर 17 घंटे हुए। 24 घंटे में से 7 घंटे फिर भी बचते हैं, जो लगभग
एक पूरे काम के दिन के बराबर होते हैं। कोई चाहे तो इन 7 घंटों को किसी भी
अभिरुचि के विषय में लगाकर आशातीत सफलता प्राप्त कर सकता है, शर्त इतनी है
कि विषय में सच्ची रुचि हो और समय को नियमित रूप से लगाने का दृढ़ संकल्प
हो।
समय सबके पास 24 घंटे
होता है। थोड़े-से समय की बरबादी को भारी क्षति समझने वाले उसका सुदपयोग कर
आश्चर्यजनक मात्रा में लाभ प्राप्त कर पाते हैं। फुरसत नहीं मिलने की
बहानेबाजी काम में दिलचस्पी न होने के कारण होती है। जहाँ चाह वहाँ राह
होती है।
यदि हम जीवनोत्कर्ष के
महत्त्वपूर्ण कार्यों में दिलचस्पी पैदा करें तो उसके लिए समय की कमी न
रहेगी। नियमितता और सुव्यवस्था से भरी दिनचर्या, जो कि दूरगामी चिंतन के
आधार पर एवं व्यावहारिक हो, शेखचिल्ली जैसी कपोल कल्पना न हो, बनाकर कोई
भी व्यक्ति समय का सदुपयोग कर सकता है और अभीष्ट दिशा में आश्चर्यजनक
प्रगति कर सकता है। दैवी संपदा का दुरुपयोग वास्तव में भगवान को नाराज कर
शाप स्वयं अपने ऊपर लेने के समान है।
जीवन
का अर्थ है - समय।
जो जीवन से अधिक प्यार करते हों, वे व्यर्थ में एक क्षण भी न गँवाएँ।
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