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श्रुतिमूलक य व
(क) जहाँ श्रुतिमूलक य, व का प्रयोग विकल्प से होता है,
वहाँ न किया जाए, अर्थात् किए-किये, नई-नयी, हुआ-हुवा, आदि में से
(स्वरात्मक) रूपों का ही प्रयोग किया जाए। यह नियम क्रिया, विशेषण, अव्यय आदि
सभी रुपों और स्थितियों में लागू माना जाए; जैसे – दिखाए गए, राम के लिए,
पुस्तक के लिए हुए, नई दिल्ली आदि।
(ख) जहाँ “य” श्रुतिमूलक व्याकरणिक परिवर्तन न होकर शब्द
ही मूल तत्व हो वहाँ वैकल्पिक श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता
नहीं है; जैसे – स्थायी, अव्ययी भाव, दायित्व आदि यहाँ स्थाई अव्यई भाव,
दाइत्व नहीं लिखा जाएगा।
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