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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


यही सब सोचते हुए मैने फेशबुक की चैटिंग सुविधा पर मेरी एन से कहीं मिलने का आग्रह किया। मेरा विचार तो मुख्य पुस्तकालय में मिलने का था, परंतु मेरी एन ने “मेकेडो सैंडविच” शाप में मिलने की बात की तो मैं भी सहर्ष ही मान गया। वह शाम के भोजन के बाद 7:30 बजे मिलना चाहती थी, तब तक मैं नित्य प्रति का व्यायाम आदि करके निवृत्त हो सकता था। मेकेडो में मिलने का एक लाभ यह भी था कि मैं कम-से-कम इसी बहाने, यूनिवर्सिटी कैफेटेरिया के भोजन से बचकर कहीं बाहर का “सैंडविच” खा सकता था।
शाम का व्यायाम करने के बाद, अपनी साइकिल से जिस समय तक मैं “मैकेडो” पहुँच पाया, तब तक लगभग 7:35 हो रहा था। मन-ही-मन मैं शर्मिंदा था, कि मैं समय से नहीं पहुँच पाया। परंतु, वहाँ पहुँचने पर, मेज-कुर्सियों अथवा बार दोनों ही जगहों में, मुझे एक भी लड़की नहीं दिखाई दी। वहाँ उसे न पाकर, अब मुझे अचानक ही यह ध्यान आया कि हमने आपस में फोन नंबरों का आदान-प्रदान तो किया ही नहीं था। यदि फोन नंबर लिया होता तो इस समय पूछ सकता था कि उसके यहाँ आने में कितनी देर थी! खैर, मुझे तो विचार ही नहीं आया था, शायद उसने भी न सोचा हो। अब अगर फेशबुक पेज पर देखना चाहूँ, तो इंटरनेट का डाटा प्लान लगेगा। मेरे फोन का “डाटा प्लान” सीमित था, इसलिए मैं उसका प्रयोग काफी किफायत से करता था। इस शाप का वायरलैस इंटरनेट भी मन-मौजी किस्म का था, कभी चलता था, कभी नहीं।

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