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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

लघुवाक्य


निम्नलिखित स्थितियों पर ध्यान दीजिए:
1 अनौपचारिक बातचीत में किसी ने पूछा, आप कल कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर : हैदराबाद
या किसी ने पूछा: बच्चा क्या कर रहा है?
उत्तर : पढ़ रहा है

2 दो व्यक्ति मिलते हैं : पहला : नमस्कार
दूसरा: नमस्कार

3 आप ने रास्ते में किसी से समय पूछा। उसने कहा: आठ
और आपने कहा : धन्यवाद
और अपने रास्ते चल दिए।

यहाँ ‘हैदराबाद, पढ़ रहा है, नमस्कार, आठ, धन्यवाद’ व्याकरणिक दृष्टि से वाक्य नहीं है, क्योंकि न्यूनतम सरल वाक्य में भी कर्ता-क्रिया तो होगी ही किंतु यहाँ ऐसा नहीं है।

परंतु, भाषा व्यहवहार की दृष्टि से ये अभिव्यक्तियाँ अपने में पूर्ण हैं और इस कारण वाक्य है। इन्हें व्याकरण में लघुवाक्य कहते हैं। लघुवाक्य वह लघु (छोटी) अभिव्यक्ति है, जो व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण वाक्य न होते हुए भी, संप्रेषण की दृष्टि से पूरी है और इस कारण वाक्य का दर्जा पाती है।

लघुवाक्य दो प्रकार के होते हैं—(1) अध्याहार के कारण बने लघुवाक्य, (2) सामाजिक संप्रेषण में प्रयुक्त लघुवाक्य।

1 अध्याहार के कारण बने लघुवाक्य

ये लघुवाक्य पूर्ण वाक्य के किसी घटक या किन्हीं घटकों के अध्याहार अर्थात् लोप हो जाने के कारण अपूर्ण दिखाई पड़ते हैं और पहले कई वाक्यों के संदर्भ में लोप हुए अंशों को लाकर आसानी से लघुवाक्य को पूर्ण वाक्य बनाया जा सकता है। जैसे, ऊपर दिए लघु वाक्य हैदराबाद का पूर्ण वाक्य, मैं हैदराबाद जा रहा हूँ, सहज में बन जाता है।

2 सामाजिक संप्रेषण में प्रयुक्त लघुवाक्य

ये लघुवाक्य सामाजिक भाषा व्यवहार में काम आते हैं। समाज में उन्हें आप इसी लघुरूप में सीखते हैं। ये शिष्टाचार के अंग हैं। उदाहरणार्थ :

क— अभिवादन शब्द : प्रणाम, नमस्कार, जयहिन्द आदि। विदाई के समय नमस्ते, बाई-बाई, फिर मिलेंगे आदि व्यंजक प्रयुक्त होते हैं।
ख— संबोधन शब्द : सर, हुजूर, जी, साहब, गुरू जी आदि।
ग— ध्यानाकर्षक शब्द: अजी, ए, सुनिए, देखिए, हलो, क्यों जी आदि।
घ— कृतज्ञताज्ञापन, धन्यवाद आदि के शब्द : थैंक यू, शुक्रिया: कृपया; क्षमा करें, कष्ट तो होगा पर..., मेहरबानी होगी
ङ— सहमति/ असहमित सूचक शब्द: जी हाँ, हाँ, अवश्य, यस सर, नहीं, जी नहीं, नहीं-नहीं, अच्छा, ठीक है; जो हुकुम।

पिछले अध्याय अव्यय के अंतर्गत बताए विस्मयादिबोधक अव्यय भी इसी कोटि में आते हैं क्योंकि ये उद्गारात्मक शब्द, शब्द होते हुए भी अभिव्यक्ति की दृष्टि से पूर्ण हैं। आजकल विज्ञापनों में (जैसे, सुंदर, सस्ते और टिकाऊ कपड़े) और समाचार पत्रों के शीर्षकों में (जैसे, बस और का में भयानक टक्कर) प्रत्यक्ष क्रिया रूपों से रहित अभिव्यक्तियाँ खूब मिलती हैं, ये भी लघुवाक्य की कोटि में रखी जाती हैं।

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