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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
पदक्रम और अध्यहार
पदक्रम
सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक आदि सामान्यतया
जिस क्रम में आते हैं, उस क्रम (पूर्व- पर स्थिति) को पदक्रम कहा
जाता है। पदक्रम सभी भाषाओँ में एक-सा नहीं होता है। इसकी जानकारी
आपको होगी ही, क्योंकि अंग्रेजी में कर्ता-क्रिया-कर्म क्रम है
जबकि हिंदी में कर्ता-कर्म-क्रिया।
हिंदी का पदक्रम निम्नलिखित सामान्य नियमों से बद्ध है –
1. लघुवाक्य के रूप में संबोधन और तथाकथित, विस्मयादिबोधक, वाक्य के आरंभ में
आते हैं। जैसे, अरे मोहन, इधर आओ।
2. अन्य़था वाक्य के आरंभ में कर्ता पद आता है। क्रिया पद सदैव अंत में आता
है। अपवाद रूप प्रश्नात्मक क्या आरंभ और अंत में आता है,
आग्रहात्मक ना, भी अंत में आता है और पुष्टि अर्थक न अंत
में आता है, जैसे –
क्या आप वहाँ जा रहे हैं?
मिठाई खाइए ना।
मिठाई खाइए भी।
मिठाई खाएँगे क्या?
जा रहे हैं न।
3. क्या में कर्म सदैव कर्ता और क्रिया के बीच
में रहता है।
4. पूरक, कर्तृपूरक स्थिति में, सदैव कर्ता के बाद और कर्मपूरक स्थिति में कर्म के बाद रहता है।
5. द्विकर्मक क्रिय में गौणकर्म (या संप्रदान) मुख्यकर्म के पहले रखा जाता है, जैसे – मोहन ने श्याम को फल दिया।
6. यदि कई कारक हों तो क्रम – अधिकरण-अपादान-संप्रदान-करण-होता है, जैसे – कुछ लोग दीवाली के पहले मिट्टी से, बेचने के लिए, अपने हाथों से अच्छे खिलौने बनाते हैं।
7. पदबंध संरचना: संज्ञा पदबंध संरचना में विशेषकों का क्रम प्रायः इस प्रकार होता है – सार्वनामिक विशेषण – संबंधवाची विशेषण – कृदन्ती विशेषण – संख्या– विशेषण – गुणात्मक विशेषण।
8. योजक: मिश्र/संयुक्त वाक्यों में योजक दो उपवाक्यों के बीच में आता है।
9. मिश्रवाक्यी संरचना: प्रधान वाक्य प्रायः आश्रित वाक्य के
पहले आते हैं।
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