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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

(1)    अर्थ की दृष्टि से वर्गीकरण

शब्द भाषा की अर्थ स्तर पर लघुतम स्वतंत्र इकाई है किंतु शब्द और अर्थ का प्रायः ऐसा अपरिवर्तनीय संबंध नहीं होता है कि एक शब्द का एक ही अर्थ रहे। इस कारण अर्थ के आधार पर शब्दों के चार भेद हो जाते हैं:

(अ)    एकार्थी
(आ)    अनेकार्थी
(इ)    पर्यायवाची या समानार्थी
(ई)    विलोम या विपरीतार्थी

अ. एकार्थी शब्द

एकार्थी शब्द वे शब्द हैं, जिनका सामान्यतः एक ही वाच्यार्थ हुआ करता है। व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द इसी कोटि में आते हैं; जैसे – महात्मा गांधी, गोदावरी, बुधवार, बुलंदशहर, जनवरी, संस्कृत (भाषा) आदि। कुछ अन्य संज्ञा शब्द भी मिलते हैं, जैसे, -- श्रद्धा, ऋषि, अहंकार आदि।

आ. अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थी शब्द एक से अधिक अर्थ में प्रयोग किये जाते हैं। जैसे कल शब्द के तीन अर्थ हैं—आगामी दिवस, अतीत दिवस, मधुर ध्वनि, किसी कार्य विशेष के लिए प्रयुक्त होने वाला यंत्र। इस स्थिति को यदि सारणी के रूप में लिखें तो :




आगामी दिवस
शब्द कल अतीत दिवस


मधुर ध्वनि


इस स्थित को अनेकार्थता कहते हैं और शब्द को अनेकार्थी। इस प्रकार अनेकार्थी शब्द वह शब्द है, जिसके एक से अधिक अर्थ होते हैं। अन्य अनेकार्थी शब्दों के उदाहरण ये हैं –

कर – हाथ, किरण, हाथी की सूँड, टैक्स ( आयकर, विक्रय कर)
मुद्रा – मुख का भाव, अंगूठी, सिक्का, मोहर
अलि – भौंरा, सखी, कोयल
अब्ज – कमल, शंख, कपूर, चंद्रमा

अनेकार्थी शब्दों का एक भेद – समरूपी शब्द है। यहाँ शब्द, स्रोत की दृष्टि से भिन्न-भिन्न स्रोतों – तत्सम, तद्भव, देशी, विदेशी – के होते हैं और यह स्वाभाविक है कि उनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं। ये रूप की दृष्टि से एक होते हैं (समरूपी) और ये वास्तव में भिन्न-भिन्न शब्द हैं। इसका विचार उन्हीं को होता है जो इन स्रोत भाषाओं से परिचित हैं। इनका एक उदाहरण बस शब्द है। इस के तीन अर्थ हैं – सामने बस जा रही हैं, मोहन हमारे बस में नहीं, बस करो। इसका चित्रण निम्नलिखित वर्गीकरण से किया जा सकता है:


बस (अंग्रेजी) बस नामक वाहन
(समरूपी शब्द) बस बस (संस्कृत) वश (अर्थ)

बस (फारसी) पर्याप्त


 

इस प्रकार समरूपी शब्द वह शब्द हैं जो स्रोतानुसार वस्तुतः भिन्न-भिन्न हैं किंतु सम (एक) रूप होने के कारण एक शब्द लगता है और उसके भिन्न अर्थ होते हैं। कुछ समरूपी शब्द इस प्रकार हैं:

काम = काम (तत्सम) (कामदेव); काम (तद्भव) (कर्म)
काज = काज (तद्भव) (कार्य); काज (बटन का काज) (विदेशी)
पर = पंख; लेकिन; ऊपर
आम = आम फल (तद्भव); कच्चा (तत्सम); सामान्य आदमी (विदेशी)

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