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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

प्रयोग की दृष्टि से वर्गीकरण

प्रयोग क्षेत्र की दृष्टि से शब्द मोटे तौर से तीन प्रकार के होते हैं —
(1) सामान्य शब्दावली के शब्द
(2) तकनीकी शब्दावली के शब्द
(3) अर्द्धतकनीकी शब्दावली के शब्द

1. सामान्य शब्दावली के शब्द

सामान्य शब्दावली वह शब्दावली हैं, जो भाषा-समुदाय के सभी सदस्य व्यक्तियों के सामान्य प्रयोग में आती है। शरीर के अंगों के नाम तथा शारीरिक क्रियाएँ, खान-पान एवं रहन-सहन की सामान्य वस्तुएँ और क्रियाएँ, प्राकृतिक परिवेश, अति परिचित जीव और वनस्पति, पारिवारिक संबंध और अन्यान्य क्रियाएँ, सामान्य सामाजिक-राजनीतिक-धार्मिक जीवन के शब्द, बाजार-आवागमन-संचार के बहुप्रचलित साधन, व्यक्ति और प्रकियाएँ आदि इसी कोटि में आते हैं, क्योंकि इनका उसी सामान्य रूप में प्रयोग छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, साधारण-शिष्ट, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित सभी करते हैं। जैसे — पानी, सूरज, हाथ-पैर, दूकान, माँ-बाप, ईश्वर आदि। वैज्ञानिक यंत्रों और तकनीक का सामान्य जीवन में इतना अधिक समावेश हो गया है कि कई तकनीकी और अर्द्धतकनीकी शब्द अब इसी सामान्य शब्दावली का भाग बन गये हैं, जैसे — टेलीविजन, नेट, मोबाइल, कम्प्यूटर वीडियो, डिजिटल, कैमरा आदि।

2. तकनीकी शब्दावली के शब्द

भाषा-समुदाय में शिक्षा (ज्ञान-विज्ञान) और व्यवसाय के क्षेत्रों में प्रायः ऐसी विशिष्टता आ जाती है कि एक का ज्ञानक्षेत्र दूसरे व्यक्ति के ज्ञानक्षेत्र से अथवा एक का व्यावसायिक जीवन दूसरे व्यक्ति के व्यावसायिक जीवन से बिलकुल भिन्न हो जाता है। ऐसी स्थितियों में ज्ञानविषय बद्ध अथवा व्यवसाय वर्ग बद्ध शब्दावली सीमित क्षेत्र वाली हो जाती हैं, सामान्य शब्दावली नही रह पाती। ऐसी शब्दावली प्रायः पारिभाषिक होती है और उनका ठीक-ठीक अर्थ परिभाषा द्वारा या विशेष विवरण देने वाले कथन द्वारा ही निकलता है। इन्हें तकनीकी भी कहते हैं। हमें विशेषकर विज्ञान के विषयों में ऐसे बहुत से शब्दों का सामना करना पड़ा होगा, जैसे — बल, रेखा, अनुक्रिया, पूँजी, प्रदूषण, पर्यावरण आदि। प्रशासन, बैक, न्याय, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में ऐसे शब्द बहुतायात में मिलते हैं, जैसे — आयोग, कनिष्ठ, पदोन्नति, बंधपत्र, कार्यवृत्त, सीमा शुल्क, उपबंध, जीवाणु-प्रतिरोधक आदि। साहित्य-व्याकरण में संधि, समास, उपमा, रूपक, दोहा, रस आदि ऐसे ही हैं।

3. अर्द्धतकीनीकी शब्दावली के शब्द

इसके अंतर्गत वे शब्द आते हैं जो सामान्य व्यक्ति भी प्रयुक्त करते हैं और विशेषज्ञ भी, अंतर इतना होता है कि विशेषज्ञ का अर्थ परिभाषित और ठीक बँधा हुआ होता है जबकि सामान्य व्यक्ति का अर्थ शिथिल होता है। समान्य व्यक्ति भी रस लेता है और साहित्यकार या साहित्यशास्त्री भी, किंतु दोनों में अतंर है। अर्द्धसैनिक बल (बी. एस, एफ,) बल (फोर्स) आम आदमी के बल से भिन्न है, यद्यपि दोनों में एक सीमा तक समानता है। इसी प्रकार इंटरेनट का अर्थ सामान्य व्यक्ति के लिए जानकारी प्राप्त करने का एक साधन है, वहीं एक कम्प्यूटर इंजीनियर जो कि उसे बनाता अथवा चलाता है उसके लिए इसका अर्थ बिल्कुल अलग प्रकार की गंभीरता रखता है।

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