सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :978-1-61301-681-7

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

मूर्ख कौन

बीरबल बड़े बुद्धिमान थे। अकबर बीरबल की बुद्धिमानी से बड़ा प्रभावित था। बीरबल अपनी विनोदपूर्ण बातों से बादशाह को प्रसन्न रखते थे। अकबर और बीरबल के विनोद की बहुत-सी बातें प्रचलित हैं। उनमें से कुछ बातें बड़े काम की हैं।

एक दिन की बात है कि बादशाह अपने राजमहल में गये। बादशाह की सबसे प्यारी बेगम उस समय अपनी किसी सखी से बातें करने में व्यस्त थी। बादशाह अचानक जाकर उसके सामने खड़े हो गये। बेगम उनके आदर में उठ खड़ी हुई और कहने लगी, "आइये मूर्खराज!"

अपने को 'मूर्खराज' कहा जाना बादशाह को बहुत नागवार गुजरा किन्तु इससे पहले बेगम ने कभी बादशाह का अपमान नहीं किया था। बादशाह यह भी जानते थे कि उनकी यह बेगम बड़ी बुद्धिमान है और बिना कारण कोई बात नहीं कहती। किन्तु फिर भी बादशाह यह समझ पाने में असफल रहे कि उनको मूर्खराज क्यों कहा गया है। बेगम से पूछना बादशाह ने उचित नहीं समझा। थोड़ी देर वहाँ रह करबादशाह चले गये।

बादशाह अपने आसन पर उदास बैठे थे। उसी समय बीरबल का वहाँ आना हुआ। बीरबल को देखते ही बादशाह ने कहा, "आइए मूर्खराज!"

बीरबल ने हँस कर कहा, "जी मूर्खराज जी! आया।"

बादशाह ने क्रोध जताते हुए कहा, "बीरबल! तुमने मुझे मूर्खराज क्यों कहा?"

बीरबल ने बादशाह को समझाया, "देखिए, मनुष्य पाँच प्रकार से मूर्ख कहलाता है। दो व्यक्ति अकेले में बात कर रहे हों और वहाँ कोई बिना बुलाये या बिना आने की सूचना दिये जा खड़ा हो तो उसे मूर्ख कहा जाता है।

"दो व्यक्ति बातचीत कर रहे हों और तीसरा व्यक्ति बीच में पड़कर उनकी बात पूरी हुए बिना बोलने लगे तो वह भी मूर्ख कहा जाता है।

"कोई कुछ कह रहा हो तो उसकी पूरी बात सुने बिना बीच में बोलने वाला भी मूर्ख माना जाता है।

"जो बिना अपराध और बिना गलती के दूसरों को गाली दे और दोष लगाये वह भी मूर्ख है। इसी प्रकार जो मूर्ख के पास जाय और मूर्खों का संग करे वह भी मूर्ख। बादशाह बीरबल के उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए।  

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