आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
गीता
श्रीमद्भगवद्रीता के १८ अध्यायों में जो ज्ञान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया है, उसे गायत्री के ९ शब्दों का ही विस्तार कह सकते हैं। एक शब्द की व्याख्या दो-दो अध्यायों में की गई है। गीता के ज्ञान में मानव जीवन को उच्चकोटि का सात्त्विक, कर्तव्यपरायण एवं अनासक्त बनाने की शिक्षा दी गई है। यही शिक्षण गायत्री के २४ अक्षरों में भी है। गायत्री-गीता और गायत्री-स्मृति प्रकरण पढ़ने पर स्पष्ट हो जाता है कि जो ज्ञान इन अक्षरों में है, उसी को भगवान ने और अधिक स्पष्ट और विस्तृत रूप में अर्जुन को बताया है। गीता को भी गायत्री की व्याख्या ही मानना चाहिए।
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