लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘हुजूर! यह बिल्कुल महफूज़ जगह है। रात के बारह बजे भी यहां आप अकेली घूम-फिर सकती है।’’

‘‘और तुम नौकरी तो नहीं छोड़ जाओगे?’’

‘‘मैं पिछले पांच साल से इसी मकान पर खिदमत कर रहा हूं। मालिक मकान ने इस मकान को बनवा, टेलीफोन और सब किस्म के सहूलियतों का सामान लगवा मुझे यहां रखा हुआ है। वह जिसको भी मकान भाड़े पर देते हैं, सब कुछ जो भी यहां है, उस सबकों इकट्ठा ही भाड़े पर देते हैं।’’

‘‘और क्या भाड़ा लोग दे देते हैं?’’

‘‘जो आपने दिया है।’’

‘‘हमसे तो बहुत ज्यादा लिया है।’’

‘‘नहीं हुजूर! यह किराया बहुत ज्यादा नहीं है। और फिर दो सौ रुपया महीना तो मेरी तनख्वाह ही है।’’

वास्तव में नज़ीर जानती नहीं थी कि कितने भाड़े पर मकान इत्यादि लिया है। अभी तक तो खाने का बिल भी नहीं आया था।
इस पर भी वह वहां के प्रबन्ध से सर्वथा सन्तुष्ट थी।

‘‘कोई मोटर यहां दैनिक भाड़े पर मिल सकती है क्या?’’

‘‘कहिये तो पता करूं?’’

‘‘हां। मैं पैट्रोल इत्यादि का खर्च दे दिया करूंगी। मोटर और ड्राईवर का एक दिन का कितना भाड़ा होगा, यह पता करना।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book