लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘मैं दिल्ली से ही गोहाटी का टिकट लेकर आया हूं और सैनिक जहाज को कह दूंगा कि मुझे उसकी आवश्यकता नहीं। इस पर वह खाली लौट जाएगा।’’

‘‘मैं समझता हूं कि आपको सैनिक हवाई जहाज रोक लेना चाहिये। यदि वह आपके लिए आया है तो उसका प्रयोग करना चाहिए।’’

‘‘यह सामान्य बात है। आप बताइए कि आप गोहाटी कब पहुंच रहे हैं?’’

‘‘मैं तो शीघ्रातिशीघ्र सीमा पर पहुंचना चाहता हूं। मेरे लिए एक-एक दिन का मतलब एक-एक सौ पौण्ड है। मैं तीन बजे वाले जहाज से चलकर गोहाटी चार बजे के लगभग पहुंच जाऊंगा।’’

‘‘मैं भी तो उसी से जाना चाहता हूं।’’

‘‘तब तो दोनों इकट्ठे चलेंगे।’’

इस प्रकार तेजकृष्ण अपने मिशन के आरम्भ में ही एक सुहृदय अधिकारी से वास्ता पड़ता देख अपने मिशन में बहुत भली प्रकार जानकारी प्राप्त करने की आशा करने लगा था।

सी० ओ० जसवन्तसिंह ने कहा, ‘‘कलकत्ता से तीन बजे चलकर हम चार बजे गोहाटी पहुंचेंगे। वहां रात भर रहेंगे। मैं तो बैरक्स में चला जाऊंगा। आप वहां किसी होटल में ठहर जाइएगा। फिर अगले दिन आप हमारे मेहमान रंगिया से आगे होंगे। मेरा हेड क्वार्टर रंगिया में है।’’

दोनों यात्री गोहाटी में साथ-साथ पहुंचे। तेजकृष्ण एक होटल में चला गया और सी० ओ० के लिए जीप आई हुई थी। वह उसमें सवार हो सैनिक शिविर को चला गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book