उपन्यास >> दो भद्र पुरुष दो भद्र पुरुषगुरुदत्त
|
10 पाठकों को प्रिय 377 पाठक हैं |
दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...
कस्तूरी ने कहा, ‘‘माँ!
बहू को दिखाओगी नहीं?’’
गजराज
ने कह दिया, ‘‘मैंने देखी है। लड़की स्वस्थ और पढ़ी-लिखी है। एक बात समझ
लो कि तुम्हारी यह नौकरी, जिससे तीन हज़ार रुपये मासिक की आय होगी, इस
विवाह पर ही निर्भर करती है।’’
इस बात ने कस्तूरीलाल का
मुख बन्द
कर दिया। इस समय मोहिनी और सुमित्रा लक्ष्मी से मिलने के लिए आईं और वे
गजराज के चरित्र के विषय में आरोप लगा गई। साथ ही उन्होंने प्रमाण भी
प्रस्तुत कर दिया।
प्रमाण मिलने से पूर्व ही
गजराज ने कह दिया था
कि ‘‘ऐस्प्लेनेड रोड वाला पता चरणदास की प्रेमिका का है। चरणदास ने ही उस
पर झूठा आरोप लगाया है।’’ परन्तु जब वह चैक और शरीफन का पत्र लक्ष्मी ने
अपनी आँखों से देखा तो वह निरुत्तर हो अपने कमरे में चली गई।
मोहिनी
और सुमित्रा तो चली गईं। गजराज लक्ष्मी के कमरे में जा पहुँचा। लक्ष्मी
चादर मुख पर डालकर लेटी हुई थी। गजराज ने चादर उठाई तो उसने अपना मुख
दूसरी ओर कर दिया। वह चैक और शरीफन का पत्र अभी भी उसके हाथ में ही था।
गजराज ने वह पत्र छीनकर देखा तो आश्चर्य करने लगा कि यह लक्ष्मी के हाथ
में कहाँ से आ गया? लक्ष्मी की आँखों से अविरल आँसू बह रहे थे।
|