उपन्यास >> ग़बन (उपन्यास) ग़बन (उपन्यास)प्रेमचन्द
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ग़बन का मूल विषय है महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव
थोड़ी देर में पुलिस स्टेशन दिखायी दिया। दर्शकों की भीड़ बहुत कम हो गयी थी। रमा ने एक बार उनकी ओर लज्जित आशा के भाव से ताका। देवीदीन का पता न था। रमा के मुँह से एक लम्बी साँस निकल गयी। इस विपत्ति में क्या यह सहारा भी हाथ से निकल गया?
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पुलिस स्टेशन के दफ़्तर में इस समय एक बड़ी मेज के सामने चार आदमी बैठे हुए थे। एक दारोगा थे, गोरे से, शौकीन, जिनकी बड़ी-बड़ी आँखों में कोमलता की झलक थी। उनकी बगल में नायाब दारोगा थे। वह सिक्ख थे, बहुत हँसमुख, सजीवता के पुतले, गेहुँआ रंग, सुडौल, सुगठित शरीर। सिर पर केश था, हाथों में कड़े; पर सिगार से परहेज न करते थे। मेज की दूसरी तरफ इन्सपेक्टर और डिप्टी सुपरिटेंडेंट बैठे हुए थे। इन्सपेक्टर अधेड़, साँवला, लम्बे आदमी था, कौड़ी की-सी आँखें, फूले हुए गाल और ठिगना कद। डिप्टी सुपरिटेंडेंट लाँबा छरहरा जवान था, बहुत ही विचारशील और अल्पभाषी। इसकी लम्बी नाक और ऊँचा मस्तक उसकी कुलीनता के साक्षी थे।
डिप्टी ने सिगार का एक कश लेकर कहा–बाहरी गवाहों से काम न चल सकेगा। इनमें से किसी को एप्रूवर बनना होगा। और कोई अल्टरनेटिव नहीं है।
इन्सपेक्टर ने दारोगा की ओर देखकर कहा–हम लोगों ने कोई बात उठा तो नहीं रक्खी, हलफ से कहता हूँ। सभी तरह के लालच देकर हार गये। सबों ने ऐसी गुट कर रक्खी है कि कोई टूटता ही नहीं। हमने बाहर के गवाहों को भी आज़माया; पर सब कानों पर हाथ रखते हैं।
डिप्टी–उस मारवाणी को फिर आजमाने होगा। उसके बाप को बुलाकर खूब धमकाइए। शायद इसका कुछ दबाव पड़े।
इन्सपेक्टर–हलफ से कहता हूँ, आज सुबह से हम लोग यही कर रहे हैं। बेचारा बाप लड़के के पैरों पर गिरा; पर लड़का किसी तरह राज़ी नहीं होता।
कुछ देर तक चारों आदमी विचारों में मग्न बैठे रहे। अन्त में डिप्टी ने निराशा के भाव से कहा–मुकदमा नहीं चल सकता। मुफ्त का बदनामी हुआ।
इन्सपेक्टर–एक हफ्ते की मुहलत और लीजिए, शायद कोई टूट जाये।
यह निश्चय करके दोनों आदमी यहाँ से रवाना हुए। छोटे दारोगा भी उनके साथ चले गये। दारोगाजी ने हुक्का मँगवाया कि सहसा एक मुसलमान सिपाही ने आकर कहा–दारोग़ाजी, लाइए कुछ इनाम दिलवाइए। एक मुलज़िम को शुबहे पर गिरफ्तार किया है। इलाहाबाद का रहने वाला है, नाम है रमानाथ। पहले नाम और सकूनत दोनों गलत बतलायी थीं। देवीदीन खटिक जो नुक्कड़ पर रहता नहीं है, उसी के घर ठहरा हुआ है। ज़रा डाँट बताएगा तो सब कुछ उगल देगा।
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