कहानी संग्रह >> गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह) गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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गल्प-लेखन-कला की विशद रूप से व्याख्या करना हमारा तात्पर्य नहीं। संक्षिप्त रूप से गल्प एक कविता है
मनोहर की टाँग उखड़ गयी थी। टाँग बिठा दी गयी। वह क्रमशः फिर अपनी असली हालत पर आने लगा।
एक सप्ताह बाद रामेश्वरी का ज्वर कम हुआ। अच्छी तरह होश आने पर उन्होंने पूछा–मनोहर कैसा है?
रामजीदास ने उत्तर दिया–अच्छा है।
रामेश्वरी उसे मेरे पास लाओ।
मनोहर रामेश्वरी के पास लाया गया। रामेश्वरी ने उसे बड़े प्यार से हृदय से लगाया। आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गई। हिचकियों से गला रुँध गया।
रामेश्वरी कुछ दिनों बाद पूर्ण स्वस्थ हो गईं। अब वह मनोहर की बहन चुन्नी से भी द्वेष घृणा नहीं करतीं। और, मनोहर तो अब उसका प्राणधार हो गया है। उसके बिना उन्हें एक क्षण भी कल नहीं पड़ती।
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