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गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :255
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8446
आईएसबीएन :978-1-61301-064

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गल्प-लेखन-कला की विशद रूप से व्याख्या करना हमारा तात्पर्य नहीं। संक्षिप्त रूप से गल्प एक कविता है


रानी-मैं उसके लिए अपना सर्वस्त्र त्यागने के लिए तैयार हूँ।

बादशाह-जागीर और मन्सब भी?

रानी-जागीर और मन्सब कोई चीज नहीं।

बादशाह-अपना राज्य भी।

बादशाह-एक घोड़े के लिए?

रानी-उस पदार्थ के लिए जो संसार में सबसे अधिक मूल्यवान है।

बादशाह-वह क्या है?

रानी-अपनी आन।

इस भाँति रानी ने एक घोड़े के लिए अपनी विस्तृत जागीर, उच्च राज्य-पद और राज सम्मान सब हाथ से खोया और केवल इतना ही नहीं, भविष्य के लिए काँटे बोये। इस घड़ी से अन्त दशा तक चम्पतराय को शान्ति न मिली।

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