कहानी संग्रह >> गुप्त धन-1 (कहानी-संग्रह) गुप्त धन-1 (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
|
5 पाठकों को प्रिय 317 पाठक हैं |
प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ
मैज़िनी रोम से फिर इंग्लिस्तान पहुँचा और यहाँ एक अरसे तक रहा। सन १८७॰ में उसे ख़बर मिली कि सिसली कि रिआया बग़ावत पर आमादा है और उन्हें मैदाने जंग में लाने के लिए एक उभारने वाले की ज़रूरत है। बस वह फ़ौरन सिसली पहुँचा मगर उसके जाने के पहले शाही फ़ौज ने बागियों को दबा दिया था। मैज़िनी जहाज से उतरते ही गिरफ्तार कर के एक क़ै़दखाने में डाल दिया गया। मगर चूँकि अब वह बहुत बुड्ढा हो गया था, शाही हुक्काम ने इस डर से कि कहीं वह क़ैद की तक़लीफ़ों से मर जाय तो जनता को सन्देह होगा कि बादशाह की प्रेरणा से वह क़त्ल कर डाला गया, उसे रिहा कर दिया। निराश और टूटा हुआ दिल लिये मैज़िनी स्विटजरलैण्ड की तरफ़ रवाना हुआ। उसकी ज़िन्दगी की तमाम उम्मीदें ख़ाक में मिल गयीं। इसमें शक नहीं कि इटली के एकताबद्ध हो जाने के दिन बहुत पास आ गये थे मगर उसकी हुकूमत की हालत उससे हरग़िज बेहतर न थी जैसी आस्ट्रिया या नेपल्स के शासन-काल में। अन्तर यह था कि पहले वह एक दूसरी क़ौम की ज़्यादतियों से परेशान थे, अब अपनी कौम के हाथों। इन निरन्तर असफलताओं ने दृढ़व्रती मैज़िनी के दिल में यह ख़याल पैदा किया कि शायद जनता की राजनीतिक शिक्षा इस हद तक नहीं हुई, कि वह अपने लिए एक प्रजातान्त्रिक शासन-व्यवस्था की बुनियाद डाल सके और इसी नियत से वह स्विटजरलैण्ड जा रहा था कि वहाँ से एक ज़बर्दस्त कौमी अख़बार निकाले क्योंकि इटली में उसे अपने विचारों को फैलाने की इजाज़त न थी। वह रात भर नाम बदल कर रोम में ठहरा। फिर वहाँ से अपनी जन्मभूमि जिनेवा में आया और अपनी नेक माँ की क़ब्र पर फूल चढ़ाये। इसके बाद स्विटजरलैण्ड की तरफ़ चला और साल भर तक कुछ विश्वसनीय मित्रों की सहायता से अख़बार निकालता रहा। मगर निरन्तर चिन्ता और कष्टों ने उसे बिलकुल क़मज़ोर कर दिया था। सन् १८७॰ में वह सेहत के ख़याल से इंग्लिस्तान आ रहा था कि आल्प्स पर्वत की तलहटी में निमोनिया की बीमारी ने उसके जीवन का अन्त कर दिया और वह एक अरमानों से भरा हुआ दिल लिये स्वर्ग को सिधारा। इटली का नाम मरते दम तक उसकी जबान पर था। यहाँ भी उसके बहुत से समर्थक और हमदर्द शरीक थे। उसका जनाज़ा बड़ी धूम से निकला। हज़ारों आदमी साथ थे और एक बड़ी सुहानी खुली हुई जगह पर पानी के एक साफ़ चश्मे के किनारे पर क़ौम के लिए मर मिटने वाले को सुला दिया गया।
|