लोगों की राय

कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474
आईएसबीएन :978-1-61301-072

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

14 पाठक हैं

प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ


इसी समय एक खोजे ने आकर अर्ज की–खुदाबंद! साहब बहादुर बड़ी देर से हाजिर हैं।

‘उनसे कह दो, अभी जच्चाखाने में हैं, अभी मुलाकात नहीं होगी।’

‘आलीजाह। कलकत्ते से एक जल्दी...’

‘मर मुए, हमारे पीर उठ रही है।’

खोजा चला गया।

लखनऊ के खास बाजार की बहार देखने योग्य थी। शाम हो चली थी और छिड़काव हो गया था। इक्को और बहलियों, पालकियों और घोड़ों का अजीब जमघट था। आज तो उजाड़ अमीनाबाद का रंग ही कुछ और है। तब यही रौनक चौक को प्राप्त थी। बीच चौक में रूपा की पानों की दूकान थी। फानूसों और रंगीन झाड़ों से जगमगाती गुलाबी रोशनी के बीच स्वच्छ बोतल में मदिरा की तरह रूपा दूकान पर बैठी थी। दो निहायत हसीन लौड़ियाँ पान की गिलौरियाँ बनाकर उनमें सोने का वर्क लपेट रही थी। बीच-बीच में अठखेलियाँ भी कर रही थीं। आजकल के कलकत्ते के कोरिंथियन थियेटर रंच-मंच पर भी ऐसा मोहक और आकर्षक दृश्य नहीं दीख पड़ता जैसा उस समय रूपा की दूकान पर था। ग्राहकों की भीड़ का पार न था। रूपा खास-खास ग्राहकों का स्वागत कर, पान दे रही थी। बदले में खनाखन अशर्फियों से उसकी गंगा-जमुनी काम की तश्तरी भर रही थी। वे अशर्फियाँ रूपा की एक अदा, एक मुस्कराहट–केवल एक कटाक्ष का मोल थी पान की गिलौरियाँ तो लोगों को घाते में पड़ती थीं। एक नाजुक-अंदाज़ नवाबज़ादे तामजाम में बैठे अपने मुसाहबों और कहारों के झुंड के साथ आये, और रूपा की दुकान पर तामजाम रोका। रूपा ने सलाम करके कहा–‘मैं सदके शाहजादा साहब, जरा बाँदी की एक गिलौरी कुबूल फर्मावें।’ रूपा ने लौड़ी की तरफ इशारा किया। लौड़ी सहमती हुई सोने की एक रकाबी में ५-७ गिलौरियाँ लेकर तामजाम तक गयी। शाहजादे ने मुसकिराकर दो गिलौरियाँ उठायी, एक मुट्ठी अशर्फियाँ तश्तरी में डालकर आगे बढ़े। एक खाँ साहब बालों में मेंहदी लगाये, दिल्ल के बासली के जूते पहने, तनजेब की चपकन कसे, सिर पर लैसदार ऊँची चोटी लगाये आये। रूपा ने बड़े तपाक से कहा– ‘अख्खा, खाँ साहब! आज तो हुजूर रास्ता भूल गये! अरे कोई है, आपको बैठने की जगह दे। अरी गिलौरियाँ तो लाओ।’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book