कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ हिन्दी की आदर्श कहानियाँप्रेमचन्द
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प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ
मुनमुन
[ आपका जन्म संवत १९५१ है। आपका पूरा नाम सत्य जीवन वर्मा एम०ए० है। आजकल आप प्रयाग में रहते हैं। आप हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयाग के सुपरिंटेंडेंट, लेखक संघ प्रयाग के संयोजक तथा संघ के मुखपत्र ‘लेखक' के सम्पादक रहे हैं।
आप निरभिमान, उदार और सरल प्रकृति के हैं। आप हिन्दी गद्य-पद्य के सुयोग्य लेखक हैं। हिन्दी के प्राचीन साहित्य में भी आपकी पूर्ण पहुँच है। आप कहानी और प्रहसन लिखने में सिद्धहस्त हैं।
आप की प्रमुख रचनाएं ये हैं–
गल्प-संग्रह–मिस ३५ का पति निर्वाचन, मुनमुन, आख्यानत्रयी, गृहिणी, भूकम्प।
अनुवाद–स्वप्नवासवदत्ता, दर्पण, प्रायश्चित, प्रेम की पराकाष्ठा। ]
‘मुनमुन! मुनमुन!’ तुतली भाषा में पुकारता हुआ वह चार बरस का लड़का बकरी के काले कनकटे बच्चे के पीछे दौड़ रहा था। मुनमुन उमंग में कूदता, उछलता, कभी लड़के की ओर देखता, पास आता, फिर छलांग मारकर चक्कर काटने लगता। लड़का उसे पुचकारता, हाथ की मिठाई दिखाकर, ललचा कर अपने पास बुलाना चाहता। उसे पकड़कर गले लगाने की उसकी बड़ी अभिलाषा हो रही थी; परन्तु वह नटखट मुनमुन लड़के के बहलाने में नहीं आना चाहता था। ज्यों-त्यों वह मुण्डा लड़का अपनी हल्दी में रँगी धोती सँभालता हुआ उसके पीछे दौड़ता, त्यों-त्यों वह मुनमुन और मैदान दिखाता था। इसी बीच लड़के के और साथी आ पहुँचे।
साथियों ने लड़के को घेर लिया। सभी उसे आदर और सद्भाव से देखने लगे। जैसे वही अकेला उन सबके बीच भाग्यवान् हो! नंगे-धड़ंगे धूलि-धूसरित एक लड़के ने उसकी ओर ईर्ष्या भरी, ललचायी आँखों से देखकर कहा।–‘माधो! तुम्हें तो बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें मिली हैं, जी! और वह अपने साथियों की ओर उनके समर्थन की आशा से देखने लगा। माधो के हृदय पर गर्व का प्रभाव अवश्य हो उठा। उसने अभिमान से और मुँह बिचकाकर, सिर हिलाकर कहा, ‘हमारा मुन्डन नहीं हुआ है? यह देखो, यह पीली धोती! यह मिठाई! और नहीं तो क्या। तुम्हारा होगा तो तुम्हें भी मिलेंगी।’ प्रश्नकर्ता अपने भाग्य पर अवश्य दुखी हो उठा होगा। इसी से वह चुप हो गया; पर उसका एक साथी अनुभवी था। उसने कहा, ‘क्यों नहीं और जब कूँच से कान छेदा गया होगा, तब न मालूम पड़ा होगा मिठाई और धोती का मतलब?’
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