लोगों की राय

उपन्यास >> कायाकल्प

कायाकल्प

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :778
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8516
आईएसबीएन :978-1-61301-086

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

320 पाठक हैं

राजकुमार और रानी देवप्रिया का कायाकल्प....


राधा–जिस दिन आप गए, उसी दिन पंजाब से मौलवी दीनमुहम्मद साहब का आगमन हुआ। खुले-मैदान में मुसलमानों का एक बड़ा जसला हुआ। उसमें मौलाना साहब ने न जाने क्या ज़हर उगला कि तभी से मुसलमानों को क़ुर्बानी की धुन सवार है। इधर हिन्दुओं को भी यह ज़िद है कि चाहे खून की नदी बह जाए, पर क़ुर्बानी न होने पाएगी। दोनों तरफ़ से तैयारियाँ हो रही हैं, हम लोग तो समझाकर हार गए।

यशोदानन्दन ने पूछा–ख्वाज़ा महमूद कुछ न बोले?

राधा–वही तो उस जलसे के प्रधान थे।

यशोदानन्दन आँखें फाड़कर बोले–ख्वाज़ा महमूद!

राधा–जी हाँ, ख्वाज़ा महमूद! आप उन्हें फ़रिश्ता समझें, असल में वे रँगे सियार हैं। हम लोग हमेशा से कहते आते हैं कि इनसे होशियार रहिए, लेकिन आपको न जाने क्यों उन पर इतना विश्वास था।

यशोदानन्दन ने आत्मग्लानि से पीड़ित होकर कहा–जिस आदमी को आज २४ वर्षों से देखता आता हूँ, जिसके साथ कॉलेज में पढ़ा, जो इसी समिति का किसी ज़माने में मेम्बर था, उस पर क्योंकर विश्वास न करता? दुनिया कुछ कहे, पर मुझे ख्वाज़ा महमूद पर कभी शक न होगा।

राधा–आपको अख़्तियार है कि उन्हें देवता समझें, मगर अभी-अभी आप देखेंगे। कि वह कितनी मुस्तैदी के क़ुबानी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने देहातों से लठैत बुलाए हैं, उन्हीं ने गौएँ मोल ली हैं और उन्हीं के द्वार पर क़ुर्बानी होने जा रही है।

यशोदा०–ख्वाज़ा महमूद के द्वार पर क़ुर्बानी होगी। उनके द्वार पर इसके पहले या तो मेरी क़ुर्बानी हो जाएगी, या ख्वाज़ा महमूद की। ताँगेवाले को बुलाओ।

राधा–बहुत अच्छा हो, यदि आप इस समय यहीं ठहर जायें।

यशोदा०–वाह! वाह! शहर में आग लगी हुई है और तुम कहते हो, मैं यहीं रह जाऊँ। जो औरों पर बीतेगी, वही मुझ पर भी बीतेगी, इससे क्या भागना। तुम लोगों ने बड़ी भूल की कि मुझे पहले से सूचना न दी।

राधा–कल दोपहर तक तो हमें खुद ही न मालूम था कि क्या गुल खिल रहा है। ख्वाज़ा साहब के पास गए, तो उन्होंने विश्वास दिलाया कि क़ुर्बानी न होने पाएगी, आप लोग इत्मीनान रखें। हमसे तो यह कहा, उधर शाम ही को लठैत आ पहुँचे और मुसलमानों का डेपुटेशन सिटी मैजिस्ट्रैट के पास क़ुर्बानी की सूचना देने पहुँच गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book