उपन्यास >> प्रगतिशील प्रगतिशीलगुरुदत्त
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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।
‘‘हां, जहां तक उसका सम्बन्ध है बात समाप्त हो चुकी थी। अब वह यदि कभी आपसे मिलेगी भी तो मित्र के नाते ही। मुझे तो इसका भी विश्वास नहीं है।’’
‘‘तब तो अब मुझे भी अपने विषय पर निर्णय कर लेना चाहिए।’’
‘‘आपका निर्णय करने का प्रश्न भारत वापस लौटने के विषय में है अथवा यहां रह जाने के विषय में?’’
‘‘मैंने तो एक निर्णय किया था। वह मैंने लैसली को बता दिया था, परन्तु उसने इसमें मेरी सहायता नहीं की। वह निर्णय था पौटाशियम साइनाइट की एक डोज लेने का। जब लैसली ने सहायता नहीं की तो फिर मैंने निश्चत किया था कि जब मैं स्वयं बाजार में जाने लायक हो जाऊंगा, तब स्वयं ही खरीद कर ले लूंगा। परन्तु महेश्वरी ने यहां आकर एक समस्या और प्रस्तुत कर दी है। इसने सूचना दी है कि मेरे बाबा का देहान्त हो गया है। दादी अकेली मेरी स्मृति में आंसू बहा रही है। इससे एक बार तो भारत जाना ही होगा। साथ ही यहां अमेरिका में रहने के लिए कुछ आकर्षण भी तो नहीं बचा।’’
‘‘नहीं, यदि आप यहां रहना चाहें तो आपकी प्रत्येक सुख-सुविधा का प्रबन्ध किया जा सकता है। और...।’’ फिर इलियट ने मुस्कुराते हुए कहा,
‘‘आपके लिए एक जीवन-संगिनी भी मिल सकती है।’’
‘‘इलियट डियर! मैं जानता हूं। तुम अपने विषय में कह रही हो, परन्तु अमेरिका में रहते हुए तुम मुझसे विवाह करके तो लोगों की हंसी का विषय बन जाओगी।’’
‘‘तो मैं आपके साथ भारत चल सकती हूं।’’
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