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उपन्यास >> सेवासदन (उपन्यास) सेवासदन (उपन्यास)प्रेमचन्द
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यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है
यही बात करते-करते डॉक्टर साहब का बंगला आ गया। दस बजे थे। डॉक्टर साहब अपने सुसज्जित कमरे में बैठे हुए अपनी बड़ी लड़की मिस कान्ति से शतरंज खेल रहे थे। मेज पर दो टेरियर कुत्ते बैठे हुए बड़े ध्यान से शतंरज की चालों को देख रहे थे और कभी-कभी जब उनकी समझ में खिलाड़ियों से कोई भूल हो जाती थी, तो पंजों से मोहरों को उलट-पलट देते थे। मिस कान्ति उनकी इस शरारत पर हंसकर अंग्रेजी में कहती थीं, ‘यू नॉटी।’
मेज की बाईं ओर एक आराम-कुर्सी पर सैयद तेगअली साहब विराजमान थे और बीच-बीच में मिस कान्ति को चालें बताते जाते थे।
इतने में हमारे दोनों मित्र जा पहुंचे। डॉक्टर साहब ने उठकर दोनों सज्जनों से हाथ मिलाया। मिस कान्ति ने उनकी ओर दबी निगाह से देखा और मेज पर से एक पत्र उठाकर पढ़ने लगी।
डॉक्टर साहब ने अंग्रेजी में कहा– मैं आप लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ। आइए, आपलोगों को मिस कान्ति से इंट्रोड्यूस करा दूं।
परिचय हो जाने पर मिस कान्ति ने दोनों आदमियों से हाथ मिलाया और हंसती हुई बोली– बाबा अभी आप लोगों का जिक्र कर रहे थे। मैं आपसे मिलकर बहुत प्रसन्न हुई।
डॉक्टर श्यामाचरण– मिस कान्ति अभी डलहौजी पहाड़ से आई हैं। इनका स्कूल जाड़े में बंद हो जाता है। वहां शिक्षा का बहुत उत्तम प्रबंध है। यह अंग्रेजों की लड़कियों के साथ बोर्डिंग-हाऊस में रहती हैं। लेडी प्रिंसिपल ने अब की इनकी प्रशंसा की है।
कान्ति, जरा अपनी लेडी प्रिंसिपल की चिट्ठी इन्हें दिखा दो। मिस्टर शर्मा, आप कान्ति की अंग्रेजी बातें सुनकर दंग रह जाएंगे। (हंसते हुए) यह मुझे कितने ही नए मुहावरे सिखा सकती हैं।
मिस कान्ति ने लजाते हुए अपना प्रशंसा-पत्र पद्मसिंह को दिखाया। उन्होंने उसे पढ़कर कहा– आप लैटिन भी पढ़ती हैं?
डॉक्टर साहब ने कहा– लैटिन में अब की परीक्षा में इन्हें एक पदक मिला है। कल क्लब में कान्ति ने ऐसा अच्छा गेम दिखाया कि अंग्रेज़ लेडियां दंग रह गईं। हां, अब की बार आप हिन्दू मेंबरों के जलसे में नहीं थे?
पद्मसिंह– जी नहीं, मैं जरा मकान तक चला गया था।
डॉक्टर– आप ही के प्रस्ताव पर विचार किया गया। मैं तो उचित समझता हूं कि अभी उसे बोर्ड में पेश करने की जल्दी न करें। अभी सफलता की बहुत कम आशा है।
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