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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

इस रोशनी को कैसे बड़ा करें?

इस रोशनी को बड़ा करने के दो उपाय हैं। एक तो--इस रोशनी का अभी हम एक ही प्रयोग कर रहे हैं बाहर के जगत को देखने में। घर के बाहर दीया लिए बाहर की दुनिया को देख रहे हैं। बाहर दुनिया को हमने खूब देखा। इस रोशनी के थोड़े से प्रयोग ने बाहर की दुनिया में बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया। इस रोशनी के बाहर के प्रयोग ने साइंस को जन्म दे दिया। हमने पदार्थ के नियम खोज लिए। हमने पदार्थ के भीतर छिपे हुए रहस्य खोज लिए। हमने जीवन के, बाहर के जीवन पर विजय पाने में बड़ी दूर तक सफलता पा ली।

विज्ञान की सारी कथा, इस छोटे से कांशस माइंड का, बाहर के जगत में इम्प्लीमेंटेशन है। बाहर के जगत में प्रयोग है। विज्ञान की सारी कथा इस छोटे से कांशस माइंड की, यह जो छोटा सा चेतन मन है, इसका हमने पदार्थ में प्रयोग किया है। इतनी बड़ी दुनिया खड़ी हो गई विज्ञान की। हम पदार्थ में प्रवेश करते गए, और हमने अणु को और अणु के भी गहरे न्यूट्रान, इलेक्ट्रान को जाकर खोज लिया, बड़ी शक्ति हाथ में आ गई।

इसी चेतना का प्रयोग बाहर न करके भीतर भी किया जा सकता है। जिन लोगों ने बाहर प्रयोग किया है, वे अणु तक पहुँच गए। जो आदमी भीतर प्रयोग करता है, वह आत्मा तक पहुँच जाता है। रोशनी यही है, दीया यही है। घर के बाहर रोशनी करते हैं तो रास्ता दिखाई पड़ता है। घर के भीतर करते हैं तो घर के कष्ट दिखाई पड़ते हैं।

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