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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

हम सभी किसी तरह के प्रचार के शिकार हैं। अगर हिंदू घर में पैदा हुए हैं, तो एक तरह के पोगेंडिस्ट हवा में हमको बनाया गया है। जैन घर में पैदा हुए, दूसरी तरह की, ईसाई घर में तीसरी तरह की--रूस में पैदा हो जाए, तो एक चौथे तरह की हवा में आपका निर्माण होगा। और आप यही समझेंगे कि यह जो प्रचार ने आपको सिखा दिया, यह आपका है।

जब तक आप यह समझते रहेंगे कि प्रचार जो सिखाता है वह आपका है, तब तक आप शास्त्रों से मुक्त नहीं हो सकते। और जो आदमी प्रपोगेंडा और प्रचार से मुक्त नहीं होता, वह कभी सत्य को उपलब्ध नहीं हो सकता है। और प्रचार के सूत्र एक जैसे हैं--चाहे लक्स टायलेट साबुन बेचनी हो, चाहे कुरान--दोनों में कोई फर्क नहीं है। एडवरटाइजमेंट का रास्ता एक ही है, प्रपोगेंडा का रास्ता और सूत्र एक ही है।

धर्मगुरु बहुत चालाक लोग थे, उन्हें ये सूत्र पहले पता चल गए, व्यापारियों को बहुत बाद में पता चले। रेडियो पर रोज दोहराया जाता है कि सुंदर चेहरा बनाना हो तो फलां-फलां अभिनेत्री लक्स टायलेट का उपयोग करती है। अभिनेत्री के चेहरे में और लक्स टायलेट में एक संबंध जोड़ने की कोशिश की जाती है।

अगर सत्य को पाना हो, तो फलां-फलां ऋषि रामायण को पढ़कर सत्य पा गए। ऋषि में और रामायण में सत्य जोड़ने की कोशिश की जाती है। यह वही कोशिश है, जो अभिनेत्री और लक्स टायलेट में की जाती है। अगर सुंदर होना हो तो, लक्स टायलेट खरीद लीजिए।

और अगर सत्य पाना हो, तो फलां-फलां ऋषि ने, फलां-फलां किताब से पाया--आप भी उस किताब को खरीद लीजिए। उसके भक्त हो जाइए।

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