लोगों की राय

उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

184 पाठक हैं

आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘सर! मुझे सच में नहीं मालूम‘‘ गायत्री बोली। अब वो बहुत उदास हो गयी थी।

देव को ये बिल्कुल भी अच्छा न लगा। पर वो असहाय था। कुछ नहीं कर सकता था गायत्री के लिए। मैंने पाया....

इस दौरान बाकी के बच्चे जल्दी-जल्दी अपनी-अपनी किताबों के पन्ने उलटने-पलटने लगे। अब सब जान गये थे कि ये खड़ूस टीचर हर एक स्टूडेन्ट को खड़ा करके क्वेश्चन पूँछेगा। ये बात बिल्कुल क्लीयर हो गयी थी।

‘‘कोई बात नहीं! चलो तुम्हें ऑप्शन देता हूँ‘‘ अब वो थोंड़ा नरम पड़ा -

क. उन बच्चों की उपेक्षा करोगी
ख. उन्हें क्लास से बाहर जाने को बोलोगी
ग. उनसे पूँछोगी कि वे क्यों नहीं ध्यान दे रहे हैं
घ. उन बच्चों को चुप रहने के लिए कहोगी, उनके न मानने पर उन्हें क्लास से बाहर कर दोगी

सीधी-साधी गायत्री भी सोच में पड़ गयी। कुछ देर तक सारे आप्शन सोचने के बाद....

‘‘क. मैं उन बच्चों को चुप रहने के लिए कहूँगी, उनके न मानने पर उन्हें क्लास से बाहर कर दूँगी‘‘ गायत्री ने जवाब दिया।

‘....तब तो उनकी चाँदी हो जाएगी! वो बाहर जाऐंगे और खूब खेलेंगे! ...यही तो वे चाहते हैं!’ वो बोला।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book