लोगों की राय

उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

184 पाठक हैं

आज…. प्रेम किया है हमने….


इस कोर्स में चार पेपर कमपलसरी थे.....और दो वैकल्पिक। स्टूडेन्टस को वैकल्पिक में वही विषय चुनने थे ...जो उसमे गे्रजुएशन या पोस्ट गे्रजुएशन मे थे। देव ने एमबीए किया था जिसका कोई भी सब्जेक्ट मैच नहीं कर था.....इसलिए देव ने इंग्लिस और ज्योग्राफी लिया...बीए के अनुसार।

‘‘एक्सक्यूस मी! क्या यहाँ पर कोई इंग्लिस ले रहा है कमपलसरी पेपर में? देव ने पूरी क्लास में पूछा

‘‘मैं इंग्लिस ले रही हूँ!‘‘ एक महिला बोली।

उसने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसका चेहरा लम्वा 2 था। गोरा रंग। उसने बालो के बीचो बीच मांग में सिन्दूर लगा रखा था, सोने की झुमकी दोनो कानो मे पहन रखी थी। उसकी शादी हो चुकी थी ।

मैंने नोटिस किया

‘‘ओ गाँड! थैक्स!‘‘ ,कम से कम कोई तो इंग्लिस वाला मिला!‘‘ देव ने राहत की सांस ली।

‘‘क्या आप भी इंंिग्लस ले रहे है?‘‘ उसने पूछा

‘‘हाँ!‘‘ देव ने उसे बताया।

‘‘हमने इंग्लिस से एमए किया है!‘‘ देव बोला

‘‘मैंने भी इंग्लिस से एम.ए किया!‘‘ वो बोली

‘‘वाओ!ये तो बढिया है! देव को खुशी हुई

‘‘मेरा नाम संगीता दीक्षित है! ,संगीता ने अपना परिचय दिया

‘‘मेरा नाम देव कश्यप है!‘‘ देव ने अपना परिचय दिया।

दोनो मे तुरन्त ही दोस्ती हो गई। मैंने देखा

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book