उपन्यास >> गंगा और देव गंगा और देवआशीष कुमार
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आज…. प्रेम किया है हमने….
शिव मुस्कराये...
शिव के चेहरे पर रहस्यमय मुस्कान थी। एक गूढ़ मुस्कान। मैंने देखा...
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उस रात जब देव सोने के लिए अपने बिस्तर पर गया तो बार-बार गंगा का गोल-गोल चेहरा ही देव को याद आ रहा था। देव के मन मे गंगा की अम्मा और बाबू ने मिलने की बड़ी तीव्र अभिलाषा पैदा हुई।
जानू नहीं कैसे?
जानू नहीं कैकैकैकै ....से?
पिया घर जाऊँ .....कैसे??
पायलिया... पायलिया कहे कि पिया घर जाऊँ.....
पायलिया छन! छन! छन! छन! शोर करे....
मोहे पिया घर जाऊँ...
पायलिया .... पायलिया कहे कि पिया घर जाऊँ .....
देव ने गाया। मैंने सुना...
पिया मतलब प्रिया, प्रियतम या सर्वाधिक प्रिय व्यक्ति। मैंने जाना...
देव ने फैसला किया कि वो कल गंगा के घर जाएगा और गंगा की अम्मा और बाबू से मिलेगा।
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