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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘देव! जब कोई लड़का किसी लड़की से एक-दो दिन वाला प्यार करे तो निगेटिव और सच वाला प्यार करे तो पाजिटव!‘‘ संगीता ने बताया।

देव ने सुना ध्यानपूर्वक।

‘‘पाजिटिव! पाजिटिव! बिल्कुल 100% पाजिटिव!‘‘ देव बोला।

गंगा ने बड़ी जोर की मुस्की मारी। मैंने नोटिस किया...

गंगा के मन मे हलचल हुई जैसे शांत तालाब में किसी ने कोई कंकड़ फेंका। वो कुछ सोच विचार करने लगी।

‘‘पर देव! तुम्हें ये बात ऐसे नहीं करनी चाहिए‘‘

‘‘तुम्हें कहना चाहिए कि ‘गंगा! तुम मुझे अच्छी लगती हो.... और मैं तुम्हें प्यार करता हूँ!‘‘ गंगा ने देव को बोलकर बताया।

‘‘....वो प्यार-व्यार को तुम गलत बता रही थी ना इसलिए ऐसे कहा‘‘ देव बोला।

गंगा ने हाँ में सिर हिलाया। मैंने देखा...

‘‘गंगा! अब बताओ क्या विचार है तुम्हारा? क्या तुम इस बात से सहमत हो?‘‘ देव ने पूछा।

‘‘मैं सोच कर बताऊँगी!‘‘ गंगा ने समय माँगा।

‘‘ठीक है! हम इन्तजार करेंगे!‘‘ देव ने बोला।

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